श्रीडूंगरगढ़ लाइव…26 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
उडणा अमरसिंह
बीकानेर महाराज कल्याणमल के दस पुत्रों में प्रथम पुत्र रायसिंह की दानवीरता और शौर्य से तो सभी परिचित हैं। रायसिंह ने एक बार विद्वान चारणों को इकट्ठा कर एक सवाल पूछा कि दानी महत्त्वपूर्ण होता है या शूरवीर? एक उपस्थित चारण ने कहा कि दानी तो महान होता ही है, पर युद्ध क्षेत्र में प्राण गंवानेवाले शूरवीर से बड़ा कोई दानी नहीं हो सकता। वह अपने भौतिक शरीर और अभौतिक प्राण दोनों का दान करता है।
रायसिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज राठौड़ को भी कौन नहीं जानता। अकबर के दरबार में रहते हुए भी अकबर के सामने सदैव महाराणा प्रताप की प्रशंसा की। कल्याणमल के चतुर्थ पुत्र अमरसिंह तो अद्भुत थे। उसने हमेशा अकबर का विरोध किया। एक बार वह अकबर का विरोध और अवहेलना कर बीकानेर लौट रहा था। अकबर ने उसे बांधकर लाने के लिए आरब खां को पीछे भेजा और पृथ्वीराज से चुहल करते हुए कहा कि तुम्हारे भाई को मेरा आदमी बांधकर लाएगा। पृथ्वीसिंह ने कहा–जहांपनाह, सूरज को कोई बांध सकता है क्या? शरीर में प्राण रहते मेरे भाई को कोई जीत ही नहीं सकता है।
हिसार में आते अमरसिंह ने अमल पाणी कर निद्रा ली। कुछ ही घंटे हुए थे,पीछा करते आरब खां अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ आने की खबर मिली। अमरसिंह हरियाणा के जिस हारणी खेड़ा गांव में विश्राम कर रहे थे। उस गांव में यह किंवदंती रही थी कि वहां युद्ध करनेवाला हारता ही है।
उधर अमरसिंह को जगाना बहुत दुष्कर था। बीच नींद में जगाने पर वह जगानेवाले का वध कर देता था। तब जगाने का काम एक चारणी को सौंपा। उसने अमरसिंह की प्रशस्ति गाते हुए जगाया। राजपूत चारण महिलाओं को सवासणी मानते हैं। जागकर अमरसिंह ने पूछा–बहिन, अध नींद में क्यूं जगाया है?
शत्रु आरब खां के आ चुकने की बात कही। भीषण लड़ाई हुई। आरब खां ने ऐसी तलवार चलाई इससे अमरसिंह के कुल्हे से नीचे का भाग कटकर गिर गया, पर वीर अमरसिंह के धड़ ने वहीं से उछलकर आरब खां का काम तमाम कर डाला। इतिहास में अमरसिंह को उडणा वीर कहा जाता है। आधा अंग कटा हुआ होने के बावजूद उसने उड़कर शत्रु के प्राण हर लिए।










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