श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्युज 25 सितंबर-2023
वीर तेजाजी महाराज जो कि सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश और गुजरात में भी पूजे जाते हैं. वीर तेजाजी महाराज जाट समुदाय के आराध्य देव हैं. राजस्थान में तेजा दशमी के मौके पर नागौर से लेकर जोधपुर और झुंझुनू से लेकर सवाई माधोपुर तक में मेले भरते हैं. इस मौके पर खास कर किसान कौम कहलाने वाले जाट समुदाय के लोग लोकदेवता वीर कुंवर तेजाजी की अमर कथा सुनते हैं और अपनी खुशहाली की कामना करते हैं.
वीर तेजाजी महाराज का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में ताहड़ जाट और राजकुंवर के घर खरनाल गांव में हुआ. यह राजस्थान के 6 चमत्कारिक सिद्धों में से एक है. तेजाजी सबसे बड़े गौ रक्षक माने गए हैं. यहां तक कि गायों की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों की बलि तक दे दी थी. तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे. तेजाजी का विवाह पेमलदे से हुआ. साथ ही उनके पास एक भी थी जिसे लीलण के नाम से जाना जाता था.
तेजाजी की कहानी
लोक कथाओं के अनुसार सर्पदंश के कारण लोकदेवता तेजाजी महाराज की मृत्यु हुई थी. कहा जाता है कि तेजाजी महाराज बचपन से ही बहादुर थे. एक बार की बात है जब तेजा महाराज अपनी बहन को लेने उसके ससुराल पहुंचे तो पता चला कि दस्यु गिरोह उनकी बहन की सारी गायों को लूटकर ले गए. जिसके बाद तेजाजी महाराज अपने एक साथी के साथ जंगलों में बहन की गायों को छुड़ाने के लिए चल पड़े.
इस दौरान बीच रास्ते में एक सांप तेजाजी महाराज के घोड़े के सामने आ गया और उन्हें डसने का कोशिश करता है. लेकिन तेजाजी महाराज उस सांप को वचन दे देते है कि पहले वो अपनी बहन की गायों को छुड़ाकर वापस लाएंगे. फिर सांप उन्हें डस ले. तेजाजी का वचन सुन कर सांप उनके रास्ते से हट जाता है.
ऐसे किया वचन पूरा
जिसके बाद दस्यु गिरोह से लोहा लेते हुए तेजाजी अपनी बहन की गायों को छुड़ाने में सफल हो जाते हैं. लेकिन दस्यु गिरोह के प्रहार से तेजाजी महाराज बुरी तरह घायल हो जाते हैं. लिहाजा ऐसे में जब तेजाजी अपना वचन पूरा करते हुए सांप के पास पहुंचते है तो सांप खून से सना हुआ देखकर उनसे कहता है कि आपका शरीर तो पूरी तरह से अपवित्र हो गया. मैं डंक कहां मारू. जिसके बाद लोकदेवता तेजाजी महाराज अपना वचन पूरा करने के लिए सांप को डसने के लिए अपनी जीभ आगे कर देते है.
इसलिए मनाई जाती है तेजादशमी
तेजाजी की प्रतिबद्धता को देख नागदेव उन्हें आश्रीवाद देते है कि कोई व्यक्ति सर्पदंश (सांप के डसने से) पीड़ित तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा तो उस पर जहर का असर नहीं होगा. इसी प्रचलित मान्यता के चलते हर साल भाद्रपद शुक्ल की दशमी को तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोकदेवता तेजाजी महाराज की पूजा की जाती है. वहीं जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए तेजाजी का धागा बांधा हुआ होता है. उसे इसी दिन खोला भी जाता है. इस प्रक्रिया को राजस्थान के कई इलाकों मे बंद काटना या फिर तांतिया काटना भी कह्ते है










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