श्रीडूंगरगढ़ लाइव…25 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
इच्छा-मृत्यु
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श्रीडूंगरगढ़ में जिनके गांव के नाम पर बिग्गा बास मौहल्ला बसा- उस डागा परिवार के चेतनदासजी डागा अपने भाई तेजमालजी के साथ श्रीडूंगरगढ़ में आकर बसे। उनके साथ बिग्गा से बहुत से माहेश्वरी और दूसरी जातियों के लोग भी यहां बिग्गा बास में आकर बस गए। उन्हीं चेतनदासजी के पांच पुत्रों में सबसे छोटे थे–सेठ बालचंदजी डागा। बालचंदजी के दो सुपुत्र कोडामलजी और सूरजमलजी हुए। इन सब लोगों की अपनी-अपनी गाथाएं हैं किन्तु यहां एक प्रसंग सूरजमल जी से सम्बन्धित दे रहे हैं।
सूरजमलजी उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति थे। उस काल में एलएलबी की। हिन्दी अंग्रेजी के विद्वान थे। वर्षों तक डायरी लेखन किया। सभी प्रमुख घटनाओं को दर्ज करते। प्रातः साढे तीन बजे उठकर परमात्म भजन-स्मरण करते। अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में दिल्ली निवास कर रहे थे। रोजाना की भांति एक दिन प्रसन्न मुद्रा में उठे। नित्यकर्म कर देर तक भजन ध्यान किया। भजन से निवृत्त होकर पंडित को बुलवाया। उसे रक्षा सूत्र बांधने तथा टीका निकालने और–स्वस्तिवाचन-पुण्यवाचन करने को कहा। पंडित ने कहा–अब और क्या करना है? उन्होंने हंसकर कहा और तो कुछ नहीं करना-अब आप जाओ। दक्षिणा देकर पंडित को विदा कर दिया और वे अपने पूजावाले आसन पर जाकर बैठ गए और राम राम करते प्राण विसर्जन कर दिए। इस तरह उन्होंने इच्छा मृत्यु का वरण किया।










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