

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…2 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
कुछ प्राचीन पट्टों की विगत
बीकानेर के महाराजा करण सिंह के समय संवत 1692 तथा संवत 1704 की पट्टा बहियों में उल्लखित कुछ पट्टों की विगत।
संवत 1704 में गारबदेसर राठौड़ सबल सिंह किशन दासोत के पट्टे में रहा।
नवो राजलदेसर संवत 1704 में राठौड़ राघव दास लाखन सिंह के पट्टे में रहा तथा साथ में दूसरा गांव नोसरिया जाखड़ां रो भी इनके पट्टे में रहा।
अड़सीसर तथा धोलिया संवत 1704 में राठौड़ सगत सिंह ईसरदासोत के पट्टे में था।
घडसीसर पाटमदेसर सिमला तथा अमरसर– राठौड़ मनोहर दास ईसरदासोत के पट्टे में था– संवत 1704।
पनपालिया तथा दूलरासर राठौड़ रुगनाथ इसरदासोत के पट्टे में संवत 1704।
नाथवाना और पनपालिया राजवी सूरजमल देवीदासोत के पट्टे में संवत 1692 में ।
आलसर राजवी नारसिंह उदैसिंघोत के पट्टे में संवत 1662।
ऊपनी– राठौड़ बलराम गिरधर दासोत के पट्टे में संवत 1704।
राजदेसर पटावरियां रो, जो बाद में सरदार शहर के नाम से बसा, संवत 1703 में इसके पट्टेदार निर्वाण सम दास मान सिंहोत। बाद में यह सरदारशहर बसने तक श्रृंगोत बीकों के पट्टे में रहा।
राजलदेसर संवत 1700 के आसपास बसा, इसलिए 1704 की पट्टा बही में उसे नवो राजलदेसर के रूप में उल्लेखित किया गया।










अन्य समाचार
श्रीडूंगरगढ़ भाजपा कार्यलय में पहुंचे भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल। कार्यकर्ताओ में भरा चुनावी जोश
श्रीडूंगरगढ़ किसान महासम्मेलन मे एकजुट होने चालू हुवे बड़ी संख्या मे किसान।
वीर तेजाजी महाराज की वो अमर गाथा जिसके चलते वो बन गए जाट समाज के आराध्य देव।