श्रीडूंगरगढ़ लाइव…27 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
एक सच्चा किस्सा
———————–
मतीरै री राड़
बीकानेर राज्य के इतिहास की एक बहु चर्चित घटना रही है। दस-पंद्रह वर्ष पूर्व में राज्य अभिलेखागार में बीकानेर राज्य की पुरानी बहियों से कुछ लेखे उतार रहा था, तभी यह घटना- एक बही ( बस्ता क्रमांक 76 बही संख्या 1) में नजर आई। मैंने उसे अपनी डायरी में उतार लिया। घटना इस प्रकार है–
वर्तमान नोखा तहसील में एक गांव है-सीलवा। आजकल यह गांव दानीमानी कुलरिया परिवार के कारण प्रसिद्ध है। सीलवा के पास ही एक गांव जाखणिया है। सीलवा- बीकानेर राज्य का गांव था और जाखणिया नागौर–जोधपुर राज्य का गांव था। दोनों गांवों की रोही सटी हुई थी।सीलवा के एक राजपूत के खेत में मतीरे की बेल उगी, पर उस बेल का एक नाल पाड़ौसी जाखणिया के एक राजपूत के खेत में चला गया। बेल के बड़े बड़े मतीरे लगे। जब वे पक गए तो सीलवा के राजपूत ने उन्हें तोड़ना चाहा, क्योंकि बेल उसके खेत में उगी हुई थी। इस पर जाखणिया के राजपूत ने तलवार निकाल कर कहा- खबरदार, मतीरे के हाथ लगाया तो, मतीरा मेरे खेत में लगा हुआ है। मतीरे का असली मालिक कौन-इस बात पर भारी विवाद उत्पन्न हो गया। अपनी बात को दोनों ही राजपूत छोड़ने को तैयार नहीं।
जोधपुर में उस समय इतिहास प्रसिद्ध वीर अमरसिंह का राज्य था। नागौर उसके अधिकार क्षेत्र में था और अमरसिंह की वीरता और क्रोध, दोनों ही प्रसिद्ध रहा है। इधर बीकानेर में जय जंगलधर महाराजा कर्णसिंह का राज्य था। दोनों ही खेतों के मालिकों ने मतीरे को प्राप्त करने के लिए अपने अपने राजाओं को न्योता। तय हुआ कि जिसके बाजुओं में दम हो-वह मतीरा ले जाए। अब मतीरे को हासिल करने के लिए भीषण युद्ध प्रारंभ हुआ, जिसमें अमरसिंह के 38 योद्धा काम आए। इधर 24 योद्धा बीकानेर के भी शहीद हुए। पर मतीरा सीलवा के राजपूत ने खाया। इसलिए सीलवा के राजपूत को संतोष हुआ।
यह मतीरै की राड़, संवत 1699 काती बदी 11 को हुई। उस दिन रविवार था और दिन के नौ बजे थे। इस राड़ में कुल 14 व्यक्ति घायल भी हुए।










अन्य समाचार
श्रीडूंगरगढ़ भाजपा कार्यलय में पहुंचे भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल। कार्यकर्ताओ में भरा चुनावी जोश
श्रीडूंगरगढ़ किसान महासम्मेलन मे एकजुट होने चालू हुवे बड़ी संख्या मे किसान।
वीर तेजाजी महाराज की वो अमर गाथा जिसके चलते वो बन गए जाट समाज के आराध्य देव।