Shri Dungargarah Live

Hindi News POrtal

इतिहास के पन्नो से… कालू प्राचीन,पर विख्यात गांव

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 14 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

कालू प्राचीन,पर विख्यात गांव

हमारे इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन गांव है कालू। उत्तरी पश्चिमी राजस्थान में कालिका देवी का सबसे पुराना मंदिर भी कालू में ही है। कालू और कालिका के सम्बन्ध में बहुत सी कहावतें बनी हुई हैं- जैसे, कालू आडी कालका यानी कालू की रक्षक कालिका है। कालू में किसी भी नए कार्य की शुरूआत में पहले- तालहाळी  यानी ताल में विराजित देवी को याद किया जाता है। लोक मान्यता है कि यह मंदिर पांडवों के काल से है। मतलब प्राचीन है।
कालू में अकाल बहुत पड़ते रहे हैं, पर यहां के लोग जीवट वाले रहे हैं।
कालू गोदारा जाटों की कभी द्वितीय राजधानी थी। कालू का मेखा गोदारा कभी इतना दानी हुआ कि उसके प्रेरणादाई किस्से चल पड़े, उसके सम्बन्ध में कहावत है– काळू बडी द्वारका, मेखो दीनानाथ  कालू में एक से एक बड़े दानी, सहयोगी लोग हुए। धार्मिक कार्यों में भी यह काफी आगे रहा। पूरे राजस्थान की सत्संगों में जिन भानीनाथजी की वाणियां चाव से गाई जाती है, वे कालू के ही थे। रामसनेही सम्प्रदाय की सींथल में स्थापना होने के बाद कालू में उसकी बड़ी गद्दी बनीं। कालू के बाद श्रीडूंगरगढ़ में रामसनेही सम्प्रदाय की गद्दी बनी। कालू में राजस्थानी भाषा के स्तम्भ साहित्यकार नानूरामजी संस्कर्ता हुए, जिनका ससुराल कालूबास में था। मैं बाल्यकाल में ही उनके पास जाने लगा था। उन्होंने कालू पर पांच सौ पृष्ठ का इतिहास लिखा। नानूरामजी जाति से नाई थे तथा जीवन भर कालू में अध्यापक रहे। कोई अपनी जमीन के कण कण से कितना प्रेम कर सकता है, वे इसके जीवंत उदाहरण थे। कालू के बारे में क्या क्या लिखें।
असल में किसी भी गांव या शहर की खूबियों को व्याख्यायित करने के लिए एक सजग दृष्टि की आवश्यकता होती है। नानूरामजी ने उसी सजग दृष्टि से अपने गांव के गली कूचे, एक एक व्यक्ति की गाथा लिखी। नमन उस कलम को।

error: Content is protected !!