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हारे वही जो लड़ा ही नही – 3

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 14 जून 2023।श्री श्याम सोनी एक बहुआयामी व्यक्तित्व रखते हैं, आप न केवल एक सफल बिजनेसमैन हैं, बल्कि आर्ट ऑफ लिविंग के एक कुशल शिक्षक, योग प्रशिक्षक और मर्म चिकित्सा प्रशिक्षक भी हैं। आज से श्रीडूंगरगढ़ लाइव पर प्रतिदिन पाठकों से रूबरू हुआ करेंगे।

हारे वही जो लड़ा ही नही – 3

विपरीत समय मे विजय के 7 सुत्र

  1. संकल्प
  2. सहयोग
  3. साधना
  4. स्वध्याय
  5. सत्संग
  6. सेवा
  7. समर्पण

1. संकल्प

2. सहयोग

हर कार्य को हम स्वयं के साधनो व जानकारी से नही कर सकते ।
सहयोग लेते हुये संकोच ना करे
सहयोग मिलता नही लेना पड़ता है ।
” गाय दूध देती नहीं निकालना पड़ता है “
(स्वयं देने की कोशिश भी ना करे ,जमाना बदल गया है )
सह+योग
यह योग का ही दृष्यवान स्वरूप है।
जीवन का हर कदम किसी ना किसी के सहयोग से ही चलता है।
प्रकृति – पंच तत्व से ही अस्तित्व
पृथ्वी ,जल,अग्नि, वायु,आकाश
मातृभूमि -वातावरण, संस्कृति, संस्कार, भाषा,रीति-रिवाज
माता-पिता – असहाय स्थिति मे भगवान , प्रथम गुरू ,स्वयं के सुख की परवाह ना करते हुये सर्वस्व समर्पण
गुरु – शिक्षा -ज्ञान -प्रज्ञा
मित्र ,समाज ,देश ,विश्व
सभी हमारे सहयोगी ही तो है।

सहयोग लेने से देने वाले का मान बढता है,
वो आपके ओर करीब आता है ।
सहयोग लेने सा देने से हमारा अंहकार पिघलता है ।
सहयोग के तीन कदम

सहयोग विनम्रता से ले ,
स्वयं से ज्यादा सहयोग  (विचार, ज्ञान’,वस्तु )का घ्यान रखे ,
और दिल से कृतज्ञता अर्पित करना ना भूले ।
(हमारे गांव मे किसी वस्तु के साथ आये बर्तन को भी खाली नही लौटाते थे ,कुछ और नही तो गुड़ ही भेजते थे।)।
प्रयोग –
सहयोगी -जो संकल्प हमने डायरी मे लिखा है ,उसकी सिद्धि के लिये किनसे किस तरह का सहयोग लेना है ,उनकी सुची बनाये।
साथ मे विषयानुसार ग्रंथ – पुस्तको की भी सन्दर्भ सुची बनाये।
सहयोग हेतु विनम्र संदेश -माध्यम का निर्धारण –
जिनसे सहयोग चाहिये ,उनसे अगर सीधा सम्पर्क हो तो उचित समय पर या उचित मध्यस्थ का चयन करते निम्नलिखित चरणो का पालन करना उचित रहेगा।
1 अपनी जरूरत का न्यूनतम सहयोग हिस्सा निर्धारण करे जो किसी अन्य साथन से नहीं मिल सकता ।
2 सुनिश्चित करे हमे मिलने वाला सहयोग दाता के लिये आर्थिक – सामाजिक या आदर्शो का हनन ना करे ।
3 दाता से पूर्व निर्धारित सही समय पर पंहुचकर आज्ञा लेकर संक्षेप मे अपनी अपेक्षा बताये ।
4 दाता द्वारा अपेक्षित सह- जानकारी विनम्रता से बताये।
5 जो भी सहयोग मिले या ना मिले कृतज्ञता अर्पित करना ना भूले।
6 कोई समय विशेष पर अगर पुन: सुचना या स्मरण कराने को कहा गया है तो विनम्रतापूर्वक समय पर अवश्य करे।
7 कार्य की सिद्धि होने पर सहयोग प्रदाता को गरिमापूर्ण आभार व्यक्त करना ना भूले ।
इस से आगे की परिचर्चा (सहयोग के साधनो का सदुपयोग साधना )अगले भाग मे करेंगे।

मंगल हो

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