श्रीडूंगरगढ़ लाइव 05 जून 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
जाति की महत्ता
बहुत से लोग अज्ञानतावश यह कहते सुने जाते हैं कि जाति वाति कुछ नहीं होती। अध्ययन-चिंतन न होने की वजह से वे ऐसा कहते हैं। गीता पढनेवाले भाई बहन जानते हैं-उसमें कहा गया है- चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं-गुण कर्म विभागशः परमात्मा को माननेवाला फिर जातियों को फालतू कैसे कह सकता है? पाश्चात्य प्रभाववश कोई आदमी जाति पर टिप्पणी करता है। हर जाति अपनी जगह श्रेष्ठ और उत्तम होती है। हर जाति के अपने रीति रिवाज और अपनी परम्पराएं होती हैं। जो व्यक्ति अपनी आत्म उन्नति के लिए जो जो प्रयास करता है-वे कालान्तर में उस जाति को सम्मान दिलाते हैं। जातियों में परस्पर सहिष्णुता के भाव आवश्यक है।
अपनी स्वयं की जाति से कभी भी द्वेष या घृणा नहीं करनी चाहिए। जाति आपकी पहचान है। आप जैसे हैं–आपकी जाति वैसी है। आप ही की पहचान आपकी जाति की पहचान है। हर व्यक्ति का यह ध्येय होना चाहिए कि मैं अपने कृत्यों से अपनी जाति को सम्मान दिलवाऊंगा। जो व्यक्ति अपनी जाति से निरपेक्ष और असंग हो जाता है- उसे अकृतज्ञ श्रेणी में रखा जा सकता है। अपनी जाति के साथ छल करना पाप बोधक है।
आपका जिस जाति में जन्म हुआ है यह ईश्वरीय विधान है। बहुत सोच समझ कर परमात्मा ने आपको उस जाति में भेजा है। अब अपनी जाति से प्रेम करते हुए उसकी उन्नति के लिए प्रयत्नशील होना आपका कर्तव्य है। आपके वैशिष्ट्य से सबसे पहले आपकी जाति गौरवान्वित होगी-फिर गांव देश समाज।










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