श्रीडूंगरगढ़ लाइव…14 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
मोमासर रा सांवरिया सेठ–उम्मेद मल संचेती
जिस तरह श्रीडूंगरगढ़ में अनेक लोग प्रसिद्ध हुए, उसी तरह हमारी तहसील के मोमासर गाँव में भी बहुत सी प्रतिभाएँ एवं प्रसिद्ध लोग हुए हैं। एक ही परिवार में तीन प्रतिभाएँ हुई। मोमासर के संचेती परिवार में श्री उम्मेद मल संचेती को गांव में सांवरिया सेठ कहा जाता। दयाद्र और अपने करुण व्यवहार के कारण उन्हें यह विरुद प्राप्त हुआ। पुराने लोग बताते हैं कि वे भगवान की तरह उदार थे। मोमासर के ताल मैदान में जो सुन्दर जोहड़ है उसका जीर्णोद्धार इन्होंने ही करवाया तथा पक्की पांवड़ी, छतरी, चारों गुंबज बनवाए। जोहड़ के पायतण को छुडवाया। तेरापंथ के महाराज पहले सांवरिया सेठ की हवेली में ही ठहरा करते। उनके सुपुत्र का नाम जैसराजजी संचेती था। वे हिसाब-किताब की दक्षता के कारण प्रसिद्ध थे। कम्प्यूटर से भी ज्यादा तीव्रता से हरेक हिसाब बता दिया करते। उनके सुपुत्र भोजराजजी संचेती हुए। बीकानेर संभाग में वे शिवाम्बु चिकित्सा के कारण प्रसिद्ध थे । इस चिकित्सा पद्धति पर आपने एक पुस्तक भी लिखी। वे इस चिकित्सा पद्धति से अनेक दुसाध्य रोगों की चिकित्सा कर चुके। वे योग के भी अच्छे ज्ञाता थे। तेरापंथ की अनेक पुस्तकों का भी संपादन कर चुके। विद्वत समाज में उनकी प्रसिद्धि रही है । उनके सुपुत्र धर्मरुचि जी ने जैन (तेरापंथी) साधु दीक्षा ग्रहण करली। दूसरे पुत्र अमीचंद संचेती कलकत्ता में व्यवसाय करते हैं।










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