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इतिहास के पन्नों से…भामाशाहों की धरती मोमासर

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…10 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

भामाशाहों की धरती मोमासर

मोमासर है तो गांव,पर श्रीडूंगरगढ़ तहसील के सौ गावों में उसकी छब किसी सुरम्य टापू की भांति अलग ही दमकती है, वहां आत्मीयता की हिलोर से ओतप्रोत अनेक भामाशाह हैं, कलाकार हैं, कलामर्मज्ञ हैं, कला स्थान हैं, साहित्यकार हैं, तेरापंथ के इतिहासज्ञ हैं, अणुव्रत के पोषक हैं, सभ्य किसान हैं, जन कल्याण की दीप्ति रखनेवाले पंच- सरपंच हैं। एक पंक्ति में कहूं तो जिनके मन में हर वक्त अपना गांव बसा रहता है, ऐसे भूमि पुत्र हैं यहां। जनकल्याण एवं कलाओं के संरक्षण में धनपतियों द्वारा धन खर्च करने की उदार मनोवृत्ति के कारण मोमासर एक उत्सवधर्मी गांव होने की गमक रखता है। यहां के सामान्य जन मोद में इतराए-इतराए रहते हैं। रहे भी क्यों न, तेरापंथी जैन समुदाय में अपनी सुघड़ साख रखनेवाले, कोमल संवेदनाओं के पुंज, हर पल संतों जैसी प्रसन्न आभा रखनेवाले तथा अपने गांव मोमासर के लिए हद दर्जे का आत्मीय भाव रखनेवाले श्री कन्हैयालाल पटावरी यहां के हैं। यहीं के हैं- देव साख रखनेवाले श्री सुरेन्द्र पटावरी, जिनके द्वारा तीन दशक में अपने गांव में कराए गए कार्यों की सूची अति विस्तृत है। वे सेवा,सत्कर्म और उदारता की त्रिवेणी हैं। यहां का बाबा रामदेव धोरा पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक आस्था के कारण दूर दूर तक प्रसिद्ध है, ऐतिहासिक महत्व रखनेवाले इस मंदिर से प्रीति के पर्याय बन चुके श्री गुमानमल सेठिया हैं। कलाओं के संरक्षण हेतु अपना जीवन बलिदान करनेवाले कलामर्मज्ञ श्री विनोद जोशी से यह गांव अपनी सौरभ देश विदेश में बिखेरता है। ढेरों विकास कार्यों के प्रेरक तथा संयोजकीय बुद्धि रखनेवाले श्री किशनलाल पटावरी की विनम्रता इस गांव को गरिमा प्रदान करती है। गौरीशंकर गुरुजी गांव की शान हैं। उनके सुपुत्र विपिन सामाजिक कार्यों में जुटे रहते हैं। विद्याधर शर्मा भी निस्पृह भाव से संयोजकीय दृष्टि से भामाशाहों के मध्य एक योजक कड़ी हैं। सामाजिक सेवाओं में वे अपने पिताश्री का पदानुसरण कर रहे हैं। वे विनम्रता के पर्याय हैं। इस गांव को शोभा देनेवाले तथा विरल विरल योगदान करनेवाले लोगों की सूची बहुत विस्तृत है। श्री अमृत कुहाड़, श्री अशोक संचेती, श्री पुखराज-सुखराज सेठिया, श्रीजुगराज उप सरपंच के कार्यों को देखकर आपको लगेगा कि उन्हें काम कराने का नशा है। श्रीमाणकचंद नाहटा, श्री अशोक पटावरी, श्री निरंजन सेठिया, श्री अरुण संचेती, श्री राजेन्द्र संचेती जैसे लोगों संस्कारतः अपने गांव से जुड़े हुए हैं और अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं। यह गांव अपनी राजनीतिक पैठ के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। राजनीतिक शुचिता के पर्याय श्री दानाराम भामू यहीं के तो हैं।
इस गांव के समर्पित जनों के प्रयास से यह गांव अगले दिनों में पर्यटकीय नक्शे पर आ जाएगा।

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