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इतिहास के पन्नो से…. “पहिया” एक अद्भुत परम्परा

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…29 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

पहिया एक अद्भुत परंपरा

पहिया –चढाना किसी जमाने में गांवों में एक मजेदार प्रक्रिया हुआ करती थी । गांव में कोई आदमी किसी को ताना देता है तो कहता है–“ऐसा कोई तुम्हारे बाप-दादाओं ने गांव में पहिया नहीं चढाया था।”
जो आदमी अपने गांव के सभी जातियों के लोग तथा पैंतीसी (पैंतीस गांवों के रिश्तेदार) के लोगों को तीन वक्त देशी घी के साथ भोजन कराए और भोजनवाली जगह चीकणी हो जाए तो गांव के लोग तथा आए हुए परसंगी उस व्यक्ति को पहिया चढाने की इजाजत देते हैं। गांव की सबसे ऊंची खेजड़ी पर पहिया ( पहले लकड़ी के पहिए हुआ करते थे) टंगाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को पहिया चढाना कहते हैं। अब यह प्रक्रिया बहुत कठिन हो चुकी है।
शहरों में ठीक ऐसी ही दूसरी प्रक्रिया हुआ करती थी–जिसे *शहर सारणी* कहते थे। शहर सारणी करनेवाला नगर सेठ कहलाता था।

 

 

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