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इतिहास के पन्नो से…कुंतासर और लक्ष्मीनाथ मंदिर

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…13 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

कुंतासर और लक्ष्मीनाथ मंदिर

बीकानेर के नगर देव लक्ष्मीनाथजी से कौन अपरिचित है। राव बीका जब जोधपुर से ग्यारह वस्तुएं बीकानेर लेकर आए-उनमें एक लक्ष्मीनाथजी महाराज की प्रतिमा भी थी। लक्ष्मीनाथजी का मंदिर न केवल बीकानेर बल्कि देश-विदेश में लोक प्रिय है। बीकानेर के सभी राजाओं की गहन आस्था लक्ष्मीनाथजी में रही। छोटे-बड़े किसी भी अभियान में जाते समय लक्ष्मीनाथजी की पूजा करना वे कभी नहीं भूलते। लक्ष्मीनाथजी के मंदिर का निर्माण बीकानेर राज परिवार ने करवाया। किंतु मंदिर में लगनेवाले खर्च के लिए इसके अधीन कतरियासर तथा कुंतासर दो गांव थे। कुंतासर श्रीडूंगरगढ़ तहसील का गांव है,वहीं कतरियासर बीकानेर तहसील का गांव है और पूनरासर के पश्चिम में है। कतरियासर सिद्ध श्री जसनाथजी महाराज का श्रद्धा स्थल भी है। उपरोक्त दोनों गांवों के प्रत्येक घर से एक रुपया धूंवें का लिया जाता। यह सारी रकम लक्ष्मीनाथजी मंदिर के उपयोगार्थ जाती। संवत 1744 में लक्ष्मीनाथजी के पट्टे में दो गांव थे, किन्तु दिनोंदिन मंदिर का खर्च बढता गया तब खालसे के कुछ और गांव इसके पट्टे में जोड़े गए। इन गांवों से संग्रहीत राशि को भोग की राशि कहा जाता।
श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के लोगों के लिए तो खुशी की बात यह है कि लक्ष्मीनाथजी महाराज के पूजन में सैकड़ों वर्षों तक इस तहसील के गांव कुंतासर का भी योगदान रहा। बीकानेर राज्य के समस्त प्रकार के कागज , आदेश, पट्टे , बहियां आदि सब में, सबसे ऊपर लक्ष्मी नाथजी सहाय छै लिखना आवश्यक था। श्रीडूंगरगढ़ के कालूबास में भी लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर है।

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