श्रीडूंगरगढ़ लाइव…7 अप्रेल 2023। श्रीडूंगरगढ़ का तेजी से बढ़ता हुआ न्यूज़ पोर्टल श्रीडूंगरगढ़ लाइव सटीक खबरों के साथ सामाजिक, ऐतिहासिक, स्वास्थ्यपरक कॉलम भी पाठकों के लिए प्रतिदिन प्रकाशित करता है। आज अपने पाठकों के लिए श्रीडूंगरगढ़ लाइव पोर्टल लेकर आ रहा है लीगल एडवाइज यानि विधिक सलाह। युवा एडवोकेट सोहन नाथ सिद्ध आपको बताएंगे आपके अधिकारों के बारे में और आपको मिलेगी कानूनी सलाह।
माता पिता की संपत्ति में बेटियों का भी अधिकार कानून में जायज माना गया है
2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में संशोधन किया गया था।
इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हिस्सा देने की बात कही गई है क्लास 1 कानूनी वारिस (Legal heir) होने के नाते संपत्ति पर बेटी का बेटे जितना ही हक है।
शादी से इसका कोई लेना-देना नहीं है अपने हिस्से की प्रॉपर्टी पर दावा किया जा सकता है।
हिंदू कानून के तहत प्रॉपर्टी दो तरह की हो सकती है।
1-पैतृक संपत्ति होती है।
ऐसी संपत्ति पिछली चार पीढ़ियों से पुरुषों को मिलती आई है कानून के मुताबिक, अब बेटी हो या बेटा ऐसी प्रॉपर्टी पर दोनों का जन्म से बराबर का अधिकार होता है।
कानून कहता है कि पिता इस तरह की प्रॉपर्टी को अपने मन से किसी को नहीं दे सकता है यानी इस मामले में वह किसी एक के नाम वसीयत नहीं कर सकता है इसका मतलब यह है कि वह बेटी को उसका हिस्सा देने से वंचित नहीं कर सकता है जन्म से बेटी का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होता है
2-पिता की खरीदी गईं प्रॉपर्टी होती है
अगर पिता ने खुद प्रॉपर्टी खरीदी है, यानी पिता ने प्लॉट या घर अपने पैसे से खरीदा है तो इस मामले में पिता के पास प्रॉपर्टी को अपनी इच्छा से किसी को गिफ्ट करने का अधिकार होता है बेटी इसमें आपत्ति नहीं कर सकती है।










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