श्रीडूंगरगढ़ लाइव…4 अप्रेल 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
सरदारशहर स्थापना की भूमिका
बीकानेर के महाराजा रतनसिंहजी अपने पूरे परिवार को लेकर गयाजी की यात्रा में निकले। उनके पूरे लवाजमें के साथ विभिन्न गांवों में डेरे हुए। सबसे पहले बीकानेर से निकलते ही सागर की छतरियों में-उसके बाद बमलू-फिर पूनरासर-कालू-अड़सीसर-और सवाई बड़ी। सवाई तब राजपुरोहितों के पट्टे में था। वहां महाराज से सवाई के अनेक श्रेष्ठि जनों ने निछरावळ कर नया शहर बसाने की विनती की। हालांकि गयाजी यात्रा संवत 1893 में की गई,पर उन्होंने सवाई के लोगों को नया शहर बसाने का आश्वासन दे दिया । सवाई से रवाना होने पर उन्हें वर्तमान सरदारशहर की ताल भूमि बहुत आकर्षक लगी। उसी ताल के पूर्वी किनारे पर-जहां आज जवाई चौक है वहां एक छोटासा गांव बसा हुआ था–जिसका नाम था- राजदेसर पटावरियां रो
यह गांव श्रृंगोत नख के बीका उमेदसिंघ -हिमतसिंघ-केशरीसिंह के पट्टे में था।
संवत 1895 की जेठ शुक्ला अष्टमी के दिन नया शहर सरदारगढ के नाम से बसाने का आदेश हुआ और राजदेसर का पट्टा खालसे कर दिया गया। फिर गांव बसाने के ढेरों काम किए गए। कौन सबसे पहले आकर बसा ? ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन्हें फिर बताएंगे ।










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