श्रीडूंगरगढ़ लाइव…30 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
बीकानेर नाम को लेकर अटकलें
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बीकानेर के नामकरण को लेकर अनेक तरह की बातें देखने में आती है। राव बीका जब जोधपुर से नया राज्य कायम करने की मंशा से निकला तो उसे अपनी यात्रा में जांगलू से उत्तरी भूभाग राज्य के लिए उत्तम लगा। इस क्षेत्र में सांखलों का राज्य था और आगे जाटों के अनेक क्षेत्र थे–जैसे गोदारों का क्षेत्र, सारणों का क्षेत्र, पूनियों-कस्वों-बेनीवालों-सिहागों का क्षेत्र। वर्तमान बीकानेर के एकदम निकट बड़ा क्षेत्र गोदारा जाटों का होने से उन्होंने सबसे पहले संधि गोदारों से ही की। बीकानेर के नामकरण में कुछ विद्वानों का मानना है कि बीकानेर शब्द में बीका के पीछे जुड़ा शब्द नेरा यह उस समय के प्रभावशाली नेरा नामक गोदारा जाट का है। जबकि यह केवल कल्पना भर है। नेरा वस्तुतः बीका का ज्येष्ठ पुत्र था। अपने नाम पर शहर बसाने की परम्परा का अवलोकन बीका पूर्व में कर चुका था। इसलिए उसने अपनी राजधानी का नाम बीकानेर-स्वयं और अपने ज्येष्ठ पुत्र के नाम पर रखा। बीका की मृत्यु 11 सितम्बर 1504 में हो गई। उनकी गद्दी पर पूरे उतराधिकार के साथ उनका ज्येष्ठ पुत्र नरा ( नेरा) बैठा। नेरा ने केवल पांच महीने ही राज किया और उसकी मृत्यु हो गई। बाद में 23 जनवरी 1505 को बीका का द्वितीय पुत्र राव लूणकरण गद्दी का उत्तराधिकारी बना। नेरा निस्संतान मर गया था।










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