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इतिहास के पन्नो से…

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…29 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

राजाओं की बहियात
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भले ही अब रिकार्ड के लिए कंप्यूटरीकृत युग हो गया है,पर राजाओं ने एक-एक आदेश तथा कर संधारण के लिए जो बहियात बना रखी थी। उन्हें पढकर आश्चर्य तो होता ही है, पर एकदम सचा इतिहास इन बहियों में दर्ज है। बीकानेर राज की कुछ बहियों के बारे में बताता हूं।
चीरा बही
समूचे बीकानेर राज्य को निम्न रेवेन्यू इकाई (चीरा) में बांट रखा था। खेजड़ा चीरा, शेखसर चीरा, गुसांईसर चीरा, जसरासर चीरा, नोहर चीरा, राणियां चीरा आदि।
जगात बहियां

जगात चुंगी को कहते थे। सामान लाया जाता तो माल पर जगात लगता। इससे राजस्थानी में कहावत बन गई, माल पर तो जगात लागसी।
जमा-खरच री बहियां

सब तरह की आमद और खर्च की बहियां।
कोठार री बहियां

राज्य के स्टाॅक की बहियां।

धुआं बहियां

धुआं भाछ प्रत्येक चुल्हे का कर था।

लेखा बहियां अनेक प्रकार की होती थी।

हासल बहियां

अलग अलग परगनों की हासल का ब्यौरा रहता।

भोग री बहियां

कोठार का भोग, धान का भोग आदि की बहियां हुआ करती।

खालसा बहियां

जिन गांवों को पट्टे से उतार लिया जाता, उनका विवरण रहता।
पट्टा-बहियां गांवों के पट्टों की बहियां।
परवाना बहियां विशिष्ट पत्रों की बहियां।
कागदां री बहियां हर आदेश की बहियां।
सावा बहियां हरेक शहर में हुए राजकीय लेनदेन की बहियां।
इसी प्रकार कमठाणां बहियां, मंदिरात बहियां, सांसण बहियां जैसी ढेरों बहियां हुआ करती थी।

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