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इतिहास के पन्नो से…चीरो में बंटा बीकानेर

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…21 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

चीरों में बंटा बीकानेर
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बीकानेर राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के गांवों-कस्बों के लगान तथा अनेक करों तथा जगात संग्रहण के लिए राज्य को अनेक चीरों में बांट रखा था। ये चीरे निम्न थे– खेजड़ा रो चीरो ( सरदारशहर तहसील का गांव), जसरासर रो चीरो ( नोखा तहसील का गांव), खारी पट्टी रो चीरो, मगरे रो चीरो ( कोलायत क्षेत्र) गुसांईसर रो चीरो ( सेरूणा के पास वाला गांव), राजाहद रो चीरो, ( राजाहद और बीदा हद- बीदावतों के पट्टे के गांवों को बीदाहद कहा गया और बीकानेर की सीमा राजाहद कहलाई। ), सीहाकोटि रो चीरो, महाजन रो चीरो, शेखसर रो चीरो ये प्रमुख चीरे थे। राज्य का अधिकांश धन संग्रहण इन चीरों के माध्यम से ही होता था। चीरों में बड़ा अधिकारी हुवालदार कहलाता। यह हुवालदार अपने चीरे में न केवल धन संग्रहण करता बल्कि अन्य व्यवस्थाएं भी स्थापित करता। इनका सहयोगी दरोगा होता। चीरे का अधिकारी अपनी छोटी सी एक सेना भी रखता। उसके नीचे कुछ कामदार तथा संदेशवाहक भी हुआ करते जो संदेश इधर से उधर ले जाने का काम करते। गांवों में जो चौधरी नियुक्त होता-वह भी चीरेदार को विभिन्न लगान संग्रहण में सहयोग करता।

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