श्रीडूंगरगढ़ लाइव…20 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
घड़सी को लज्जित होना पड़ा
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बीकानेर के संस्थापक राव बीका के दस पुत्रों में तीसरे नम्बर पर घड़सी था। घड़सी ने घड़सीसर बसाया था, उसके दो पुत्रों को गारबदेसर और घड़सीसर जागीर में मिला। उसी घड़सी के प्रपौत्र हैं–राज्यवर्धन सिंह।
घड़सी बहुत ताकतवर व्यक्ति था। कहते हैं, वह अपने अंगूठे की रगड़ से चांदी के रुपये के ऊपर अंकित लेख को मिटा देता था। पर एक दिन उसे अपनी ताकत को व्यर्थ होते देखकर बड़ा लज्जित होना पड़ा।
लालमदेसर (मगरा क्षेत्र) के रामूजी सारण का पुत्र बीमार हो गया। उसे मानसिक बीमारी थी, किसी ने बताया कि उसमें भूत घुस गया है। और श्री देव जसनाथजी के दर्शनों से इसका इलाज संभव है। रामूजी पुत्र को लेकर कतरियासर जा रहे थे। जब वे बीकानेर पहुंचे तो रास्ते में संयोग से घड़सी से भेंट हो गई। गाड़ी में बंधे हुए एक इकहरे शरीर के युवा को देखा तो घड़सी ने पूछा–इसे बांध क्यों रखा है। रामूजी ने कहा–यह मेरा पुत्र है, इसमें बड़ा भयंकर भूत प्रविष्ट कर गया है, इसलिए बांध रखा है और हम कतरियासर जसनाथजी के धोक देने जा रहे हैं। घड़सी ने अभिमान से कहा–वहां ले जाने की क्या जरूरत है, भूत तो मैं यहीं निकाल देता हूं। यह कहकर घड़सी ने एक कोड़ा उस बंधे युवक के फटकारा। युवक ने कोड़े को पकड़ लिया। घड़सी ने पूरी ताकत लगाई पर वह उससे छुड़वा नहीं सका। तब घड़सी ने पूरी ताकत से भाला जमीन में गाड़ा और कहा कि इसे निकाल देगा तो मान लूंगा कि इसमें इन्सानी ताकत न होकर भूत की ताकत है। उस युवक ने सहज ही में वह भाला निकाल दिया। अब घड़सी बहुत लज्जित हुआ और मान गया कि वास्तव में इसमें कोई बाहरी ताकत काम कर रही है।










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