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इतिहास के पन्नो से…महाराजा गंगासिंह

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…16 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

महाराजा गंगासिंह, विद्रोहियों से नहीं दबे
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सरदारसिंह स्वयं तो शादियों में लगे रहे। किसी भी दीवान पर भरोसा नहीं रहा। उधर वीदावत ठाकुरों के विद्रोह ने उन्हें बड़ा परेशान किया,ऊपर से अंग्रेज वायसराय के बढते दखल एक बड़ा सरदर्द था। पिता रतनसिंहजी के समय में जो धाड़े डाके शुरू हुए वे बढ गए। डूंगरसिंह जी का कार्यकाल अल्प रहा और गंगासिंहजी बालक थे तो रीजेंसी कौंसिल ने लगभग ग्यारह साल बीकानेर का राज्य चलाया। उसमें प्रबुद्ध लोगों को रखा गया। अनेक ठाकुरों की चौधर रही, लेकिन वयस्क होने पर मेयो काॅलेज, अजमेर से पढकर आए तीव्र बुद्धि गंगासिंहजी न अंग्रेजों से दबे न विद्रोहियों से। उन्होंने बीकानेर के विकास के लिए अकल्पनीय कार्य किए। राज्य के धनाढय लोगों से व्यक्तिगत सम्पर्क रखे। उनके साथ प्रेम का व्यवहार रखा और सभी सेठों से लोक हित में खूब धन खर्च करवाया। सेठ लोगों को दोनों जुबली के समय अनेक सम्मानों से नवाजा। बीकानेर के प्रशासन को नया स्वरूप दिया। रिकार्ड के लिए बही व्यवस्था को समाप्त कर फाइलिंग सिस्टम शुरू किया। व्यापार व्यवसाय के खुले अवसर प्रदान किए। शिल्पकला, साहित्य, संगीत को बढावा दिया। अपराध एकदम घट गए। अपराधियों के कठोर दण्ड विधान था। त्वरित न्याय था। पीड़ित की पुकार सुनी जाती।
हां,पर स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ थे।

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