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इतिहास के पन्नो से : बीकानेर राज्य के प्रमुख कर

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…15 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

बीकानेर राज्य के प्रमुख कर
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धुंआ -भाछ :- बीकानेर राज्य का यह एक ऐसा अनिवार्य कर था, जो हरेक उस घर पर लगता था, जहां, चूल्हा जलता है। इसे आप हाउस टैक्स भी कह सकते हैं।
जगात :- सीमा शुल्क। बाहर से आने वाले माल पर लगने वाली चुंगी। शहर के मार्गो पर जगात के थाने बने हुए होते थे। राज्य की बहुत बड़ी आय जगात से ही होती थी। जगात सोने-चांदी जैसे कीमती वस्तुओं को छोड़कर सभी खाद्य पदार्थों पर मण ( चालीस सेर) पर लगती और कपड़े में थान पर।
हुवालदार :- शहर का मुख्य अधिकारी हुआ करता, जब तक तहसीलदार नहीं हुए, तब तक हुवालदार ही बड़ा अधिकारी था। राजा के यहां से सारे आदेश हुवालदार के नाम से ही आते थे ।
खेड़ खरच :- सैन्य कर, सुरक्षा की दृष्टि से लिया जाता।
सिंगायल :- गायों -भैंसों के पालकों से वसूला जाता।
देसपरठ :- नए बसने वालों से एक मुश्त वसूला जानेवाला कर।
ढोल-गवाड़ी :- विभिन्न पर्वों पर लिया जाने वाला गांव चौधरी का कर।
नोता :- राज परिवार में किसी का विवाह होने पर 2 रुपये प्रति गवाड़ी से वसूला जाता।
अकरायत :- करों को वसूलने के लिए की जाने वाली कड़ाई।
लहणायत :- देसी भाषा में जिसे मांगतोड़ा कहते हैं।
लहणो :- कर्ज
मुकाता :- हासल की रकम का ठेका, जो किसी एक व्यक्ति को दे दिया जाता।
भोगता :- गांव का पट्टायत जो हासल उगाही का अधिकार रखता था।
कसूर :- किसी कसूर पर यह जुर्माना वसूला जाता।
गईवाळ :- लावारिस सम्पति, जैसे हमारे शहर में साबणिया कुआ।
मापा :- बिक्री कर।
और भी बहुत से कर थे, समय -समय पर बताएंगे।

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