Shri Dungargarah Live

Hindi News POrtal

बासिड़ा का भोग लगाया,व्रत और पूजा करके मनाया शीतला माता को,दरिद्रता एवं रोग दोष से मुक्ति की प्रार्थना की

*Open your Free Trading and Investment Account in 3 easy steps*: 1️⃣ Download Angel One app 📲 2️⃣ Complete KYC 🪪 3️⃣ Start your Investment Journey 💰📈 ------------------------------------------------ Download using my referral link to get Free Demat Account. https://play.google.com/store/apps/details?id=com.msf.angelmobile&referrer=KI1073maR::rne_source=RnEHamburger or use my referral code KI1073maR

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…15 मार्च 2023।दरिद्रता को दूर कर सुख संपन्नता प्रदान करने वाली माता शीतला की आज कस्बे एवं ग्रामीण अंचल में व्रत के साथ पूजा की जा रही हैं।होली के सात दिन बाद शीतला माता की पूजा की जाती हैं कहीं ये पूजा सप्तमी को तो कहीं अष्टमी को की जाती। श्रीडूंगरगढ़ में आडसरबास माताजी मंदिर,रानी बाज़ार शीतला माता थान पर महिलाये पूजा एवं भोग लगा रही है।

फोटो:- विनोद तोलम्बिया

हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की मान्यता है। देवी शीतला भी इनमें से एक है। विवाह आदि से पहले शीतला माता की पूजा करने की परंपरा है। चैत्र मास में भी देवी शीतला की पूजा-व्रत विशेष रूप से किया जाता है। इस व्रत में एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन किया जाता है, इसलिए इसे बासीड़ा, बसौड़ा, बसियौरा व बसोरा भी कहते हैं। देवी को भी भोग में ठंडे पकवान चढ़ाए जाते हैं। मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा से शीतजन्य रोग जैसे चैचक, खसरा आदि नहीं होते ह।

स्थानीय परंपरा के अनुसार, देवी शीतला की पूजा 2 दिन की जाती है। किसी स्थान पर चैत्र कृष्ण सप्तमी पर देवी शीतला की पूजा की परंपरा है तो कहीं चैत्र कृष्ण अष्टमी पर। इन व्रतों को क्रमश: शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी कहा जाता है। इस बार शीतला सप्तमी 14 मार्च और शीतला अष्टमी 15 मार्च को है।

इस विधि से करें देवी शीतला की पूजा

– व्रती (व्रत करने वाली महिलाएं) स्थानीय परंपरा के अनुसार, शीतला सप्तमी या अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद ये मंत्र बोलकर संकल्प लें-
मम गेहे शीतलारोगजनित उपद्रव प्रशमन

पूर्वकायु: आरोग्य ऐश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये
– इस प्रकार संकल्प लेने के बाद माता शीतला की पूजा करें। जल चढ़ाएं और अबीर, गुलाल, कुंकुम आदि चीजें भी। (बासी) खाद्य पदार्थ, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं। इसे बाद परिक्रमा करें।

.            फोटो :- सुधा डागा
देवी शीतला की पूजा में दीपक नहीं जलाया और न ही अगरबत्ती। इसके पीछे कारण है कि देवी शीतला ठंडी प्रकृति की देवी हैं। इनकी पूजा में दीपक का प्रयोग वर्जित है।
– पूजा के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें, शीतला माता की कथा सुनें। दिन भर शांत भाव से सात्विकता पूर्ण रहें। इस दिन व्रती तथा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी गर्म भोजन नहीं करना चाहिए।

फोटो :- गौरव सोनी

error: Content is protected !!