
श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज।14 फरवरी 2021।
दिनांक :- 14 फरवरी 2021
वार :- रविवार
तिथि :- तृतीया
पक्ष :- शुक्ल
माह :- माघ
नक्षत्र :- पूर्वभाद्रपदा 16:31 बजे तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शुरू
चन्द्र राशि :- कुम्भ 10:08 बजे तक तत्पश्चात मीन
सूर्य राशि :- कुम्भ
ऋतु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:14 बजे
सूर्यास्त :- 18:23 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 09 मिनट
रात्री काल :- 12 घण्टे 50 मिनट
चंद्रोदय :- 08:56 बजे
चंद्रास्त :- 20:51 बजे
राहू काल :- 16:59 – 18:23 अशुभ
अभिजित :- 12:26 -13:11 शुभ
पंचक :- लागू
दिशाशूल :- पश्चिम दिशा में
समय मानक :- श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
उद्वेग :- 07:14 – 08:37 अशुभ
चर :- 08:37 – 10:01 शुभ
लाभ :- 10:01 – 11:25 शुभ
अमृत :- 11:25 – 12:48 शुभ
काल :- 12:48 – 14:12 अशुभ
शुभ :- 14:12 – 15:36 शुभ
रोग :- 15:36 – 16:59 अशुभ
उद्वेग :- 16:59 – 18:23 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ :- 18:23 – 19:59 शुभ
अमृत :- 19:59 – 21:35 शुभ
चर :- 21:35 – 23:12 शुभ
रोग :- 23:12 – 24:48* अशुभ
काल :- 24:48* – 26:24* अशुभ
लाभ :- 26:24* – 28:00* शुभ
उद्वेग :- 28:00* – 29:37* अशुभ
शुभ :- 29:37* – 31:13* शुभ
⛅ व्रत पर्व विवरण – 💓मातृ-पितृ पूजन दिवस
💥 विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🌷 ‘मातृ–पितृ पूजन दिवस’ ज्योतिष की दृष्टि से🚩🙏
🙏🏻 अपने माता पिता का आदर करते और वेलेंटाईन डे का कचरा दिमाग में न रखें …..कि ये लोग मानते हैं तो हम भी मनाये… नहीं !! अपने माता पिता का पूजन करें…. बापूजी ने सहज में ऐसी सुन्दर सीख दी । हर साल जो 14 फरवरी को वेलेंटाईन डे मनाते हैं न ….मूर्ख लोग…. पर
🙏🏻 14 फरवरी के दिन अधिकांशतः सूर्य भगवान कुम्भ राशि पे होतें है । बिलकुल कोई पंडित इसको नकार नहीं सकता, लगभग अधिकांश 14 फरवरी को सूर्य भगवान कुम्भ राशि पे होतें हैं और कुम्भ राशि के स्वामी कौन हैं ? शनि देव । कुम्भ राशि के स्वामी शनि, शनि देव सूर्य भगवान के बेटे हैं । तो वो अपने पिता का खूब आदर करते और पिता की परिक्रमा करते हैं । तो जो 14 फरवरी के दिन वेलेंटाईन डे मनाते हैं न उनपे सूर्य भगवान और शनि देव दोनों नाराज़ होतें है भयंकर और 14 फरवरी के दिन बापूजी के कहे अनुसार जो माता पिता का पूजन करते हैं उनपे सूर्य भगवान और शनि देव दोनों खुश होते हैं …. क्यो कि उस दिन शनि देवता भी सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और सूर्य भगवान की परिक्रमा करते हैं ।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
✏️ तिथि का स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी मां गौरी और देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव जी है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
💁🏻♀️ आज का उपाय-मंदिर में तांबे का पात्र दान करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – तृतीया तिथि में नमक एवं चतुर्थी को मूली का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य माना गया है। चतुर्थी को मूली एवं तिल का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला और आरोग्यकारी तिथि मानी जाती है। इसकी स्वामी माता गौरी और कुबेर देवता हैं, जया नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी जाती है।
💁🏻♂️ विशेष जानकारी – मित्रों, रविवार के दिन, चतुर्दशी एवं अमावस्या तिथियों में तथा श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास नहीं करना चाहिये। साथ ही तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी शास्त्रानुसार मना है अर्थात ये सब नहीं करना चाहिये।













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