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इतिहास के पन्नो से … छिनवा काळ

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 27 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

संवत 1996 का अकाल इतिहास प्रसिद्ध है। सामान्य जन के पास खाने को कुछ भी नहीं बचा। बीकानेर महाराजा ने फैमिन रिलीफ ऑपरेशन -प्रारम्भ किया। तमाम स्टेट सड़कें इसी वर्ष प्रारंभ की गई ।श्रीडूंगरगढ से सरदाशहर सड़क इसी वर्ष बनी। सड़कें, रेल्वे लाइन, नहर निर्माण, तालाबों के निर्माण सरकार की ओर से शुरू किए गए। वहीं सेठ साहूकारों को हवेलियां बनाने के लिए कहा गया।

अकाल राहत शिविर, सरकी और झौंपड़ी के रूप में बनाए गए। ये चार -चार व्यक्तियों के रहने के लिए दिए गए।
राजपूताना अकाल सेवा समिति ने पशुओं के लिए शिविर खोले।
अकाल राहत की बातें तो बहुत है। उस समय बीकानेर राज्य में अकाल राहत के मिनिस्टर -श्री जीवराज सिंह थे। जिनका तालुक श्री डूंगरगढ से था।
अकाल राहत में अच्छा कार्य करने के फलस्वरूप श्री डूंगरगढ के तहसीलदार पंडित रामेश्वर लाल को “सनद “का पुरस्कार मिला। श्रीडूंगरगढ की 283 गवाड़ियों को 5885 रुपये का “तकावी अनुदान “दिया गया। अकाल राहत का सारा कार्य तहसील कार्यालय से संचालित होता था। अकाल राहत शिविर में आटा पीसने के लिए चक्कियां बांटी गई। बालचंद डागा परिवार द्वारा भूंगड़े बांटे गए और वह भी बड़े पैमाने पर। बरसात होने पर भादानी परिवार ने खेती के लिए बीज बांटे।

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