Shri Dungargarah Live

Hindi News POrtal

हारे वही जो लड़ा ही नही – 7 – समर्पण

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 19 जून 2023।श्री श्याम सोनी एक बहुआयामी व्यक्तित्व रखते हैं, आप न केवल एक सफल बिजनेसमैन हैं, बल्कि आर्ट ऑफ लिविंग के एक कुशल शिक्षक, योग प्रशिक्षक और मर्म चिकित्सा प्रशिक्षक भी हैं। आज से श्रीडूंगरगढ़ लाइव पर प्रतिदिन पाठकों से रूबरू हुआ करेंगे।

हारे वही जो लड़ा ही नही – 7 समर्पण

विपरीत समय मे विजय के 7 सुत्र

संकल्प
सहयोग
साधना
स्वध्याय
सत्संग
सेवा
समर्पण
7 समर्पण
सेवा समर्पण का ही द्वार है।
हमने देखा सेवा क्यों?
हम अपना पूरा जीवन लेने में लगा देते हैं।
समाज को लौटाना हमारा कर्तव्य है।
सेवा हमें वास्तव में जीवन में पूर्णता महसूस कराता है।
आपकी आवश्यकताओं का स्वतः ध्यान रखा जाता है।
सेवा करते समय इनमें ना फँसे
अपने को कर्ता समझ लेना
बदले में कुछ उम्मीद करना
जब हम यह ना करे तो सेवा ही समर्पण बन जाती है।
” प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक उद्देश्य और एक अद्वितीय प्रतिभा होती है। और जब हम इस अनूठी प्रतिभा को दूसरों की सेवा के साथ मिलाते हैं, तो हम सच्चे आनंद और परम स्वास्थ्य का अनुभव करते हैं।”
सेवा से समर्ण एक सात्विक भक्ति आंदोलन है।
सुफलता का सर्वसिद्ध सुमार्ग है समर्पण
सम+ अर्पण ,सर्वस्व अर्पण
निष्काम कर्म का सबसे महत्वपूर्ण भाव
कर्म शुद्धि का साक्षात्कार है समर्पण
संकल्पित कार्य की सिद्धि प्रमाण है समर्पण
फल अंहकार से मुक्ति का मार्ग है समर्पण
कर्म से पहले संघर्ष विजय उद्घोष है समर्पण
नये अनदेखे कर्म की विशुद्ध प्रेरणा है समर्पण
नूतन कल्याणकारी संकल्प जनक है समर्पण
सनातन धर्म कैवल्य मोक्ष भक्ति मार्ग है समर्पण
जैसा भी है ,हो रहा है स्वीकारना है समर्पण
सब कुछ हरि इच्छा से हो रहा मानना है समर्पण
कर्म पर लक्षित होना ना कि फल पर है समर्पण

प्रयोग
समर्पण के लिए आवश्यक 3 कदम
हर चीज में भगवान का हाथ देखें
प्रयास पर ध्यान दें, परिणाम पर नहीं
अपनी योजना को परमेश्वर की योजना पर मत थोपिए

बड़ी से बड़ी विपत्ति के बीच विचलित नहीं होना समर्पण
समर्पण और भय एक ही हृदय में नहीं रह सकते।
भय से मुक्ति का औषधि है समर्पण
समर्पण (Surrender)की दैनिक आराधना
ब्रह्मलीन संत श्री रामसुखदास जी महाराज के पावन संदेशो पर आधारित है ।
प्रात:कालीन बेला मे ये समर्पण साधना करनी चाहिए।
आँख बंद कर के श्वासो के प्रति सजग होकर ह्रदय क्षेत्र पर ध्यान लेजाकर इनमें से दोनो या कौई एक मंत्र का आव्हान करे ।
गीता -” ईश्वरःसर्वभूतानां ह्रदेशे अर्जुन तिष्ठति”
पवनतयसंकट हरण, मंगल मूरति रुप।
रामलखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
तत्पश्चात दिन भर की घटनाओ का स्मरण करे है और इन कालजयी संतवाणी के साथ हर कर्म फल को समर्पित करते जाये।
मै श्री हरि का हूं ,श्री हरि मेरे है।
मैं श्री हरि के ही दरबार मे रहता हूं ।
मैं श्री हरि का ही काम करता हूं।
मैं श्री हरि का ही प्रसाद पाता हूं ।
मैं श्री हरि की ही सेवा करता हूं ।
हे नाथ मै आपको भूलू नही !
हे नाथ मै आपको भूलू नही !
2-3 मिनिट के पश्चात सकल समाज के लिये मंगल भावना करते हुये आंखे खोले।
नीचे दिये किसी भी मंत्र के द्वारा कर सकते है ।
लोका समस्या सुखिनो भवंतु
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
संकल्प ,सहयोग ,साधना ,स्वध्याय ,सत्संग सेवा समर्पण से संघर्ष समृद्ध-सम्पूर्ण सुफल बन जाता है।
जीवन मे हार शब्द का अस्त्तित्व ही नही है।हर हार मे नई जीत का संदेश छुपा रहता है ।बस ऌड़े ,यही हमारा मूल मंत्र है,जीवन जीने की कला है।
_~सो हारे वोही जो लड़ा नहीं ।।_~
हमारी यह संवाद श्रृँखला आपको कैसी लगी ,कुछ शब्दो के द्वारा बता सके तो बड़ा उपकार होगा ।
अपनो से अपनी बात जारी रखे या विराम दे ।
अवश्य बताये । कोई विशेष विषय पर संवाद करना हो तो भी अवश्य बताये।
आदरणीय चेतन जी ,पुर्णानंद जोशी जी ,अहमदाबाद से अशोक व्यास जी,रामावतार व्यास जी के प्रेरक शब्द ईश्वरीय शाबास है ।
आप सभी को नमन।।
श्याम सोनी
पुत्र स्व: भैरूदान जी सोनी
कालूबास -श्रीडूंगरगढ
गांधीनगर – दिल्ली

error: Content is protected !!