श्रीडूंगरगढ़ लाइव 17 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
ऐतिहासिक ग्रंथ दलपत विलास में, श्रीडूंगरगढ़
बीकानेर के पांचवें महाराजा रायसिंह इतिहास में बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। रायसिंहजी के बड़े पुत्र थे दलपत सिंह। रायसिंह अपने छोटे पुत्र सूरसिंह से अधिक प्रेम करते थे। वे अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुरसिंह को ही बीकानेर का महाराजा बनाना चाहते थे। इस बात पर दलपत सिंह ने विद्रोह किया। दिल्ली के बादशाह जहांगीर ने दलपत सिंह को बीकानेर का राजा बना दिया, इसलिए बीकानेर राज्य में कलह जैसा वातावरण हो गया। दलपत सिंह की संपूर्ण कथा को राजस्थानी भाषा में संवत 1645 में लिखी एक पुस्तक दलपत विलास में पिरोया गया है। इस पुस्तक के लेखक का नाम अज्ञात है। दलपत सिंह संवत 1621 में जन्मा। विभिन्न प्रसंगों के अंतर्गत इस पुस्तक में उस समय के श्रीडूंगरगढ़ तहसील के अनेक गांवों का हवाला है। उनमें आडसर छोटड़ियो, कीतासर, गुसांईसर, ठुकरियासर, नोसरिया बिग्गा तथा बींझासर आदि के उल्लेख प्राप्त होते हैं। यह पुस्तक अकबर कालीन है। इसका विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व है। राजस्थानी भाषा में इस पुस्तक का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि आज से 450 वर्ष पहले की राजस्थानी भाषा के स्वरूप को इस पुस्तक के माध्यम से जाना जा सकता है। ऐसा गद्य राजस्थानी जैन ग्रंथों में भी मिलता है।










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