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इतिहास के पन्नों से….कोटासर राईकों ने बसाया

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 14 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

कोटासर राईकों ने बसाया

क्या आपने कभी सोचा है कि गांव कैसे बसा करते होंगे?
इतने सारे गांवों को किसने बसाया? हमारे श्रीडूंगरगढ़ तहसील के अधिकांश गांव विभिन्न गोत्रों की जाट जाति द्वारा बसाए हुए हैं। जिनमें प्रमुखता *गोदारा, जाखड़, सारण, बाना, देहड़ू, भूकर, खिलेरी* आदि की है। लेकिन श्रीडूंगरगढ़ तहसील का एक गांव ऊंट चराने वाली रायका जाति के कोटा राईका नाम के व्यक्ति ने बसाया। आश्चर्य की बात कि ऊंट चराने वाली जाति राईका के घर में उसका पुत्र जोधा राईका कवि हुआ। जोधा ने ऊंचे दर्जे के आध्यात्मिक पदों की रचना की। जिसमें एक पद में जोधा राईका कहता है कि कलयुग में दसवें अवतार के रूप में भगवान का जो अवतार होगा, उसके बाद सब सुखी हो जाएंगे।
श्रीडूंगरगढ़ के कोटासर, बापेऊ आदि क्षेत्र में राईका जाति के अनेक लोग हुए हैं। बीकानेर राज्य में ऊंटों की सेना हुआ करती थी। ऊंटों का चारा पानी करने, उन्हें घुमाने फिराने,चराने, इधर-उधर ले जाने के लिए राईका जाति को ही राज्य में नौकर रखा जाता था। इन ऊंटों के टोलों को अलग-अलग गांव में चारा पानी के लिए भिजवाया जाता था। कहीं 15 दिन, कहीं 10 दिन तक यह सारी व्यवस्था उस गांव के लोगों द्वारा करनी पड़ती थी। यह काफी मुसीबत का कार्य था। जिन गांव में सरकारी ऊंटों का आगमन होना होता था, वहां पहले से मुनादी कराई जाती थी। उस मुनादी से गांव वाले भीतर ही भीतर बहुत परेशान, हैरान और दुखी हो जाया करते थे कि वे भले ही अपने पशुओं के लिए चारा पानी का प्रबंध ठीक से नहीं कर पाए पर राजकीय ऊंटों के लिए तो उन्हें सब कुछ बढ़िया प्रबंध करना पड़ता था। वह समय बेकारी और बेगारी का हुआ करता था। बहुत दुखद समय था।

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