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हारे वही जो लड़ा ही नही – 4, साधना

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 15 जून 2023।श्री श्याम सोनी एक बहुआयामी व्यक्तित्व रखते हैं, आप न केवल एक सफल बिजनेसमैन हैं, बल्कि आर्ट ऑफ लिविंग के एक कुशल शिक्षक, योग प्रशिक्षक और मर्म चिकित्सा प्रशिक्षक भी हैं। आज से श्रीडूंगरगढ़ लाइव पर प्रतिदिन पाठकों से रूबरू हुआ करेंगे।

हारे वही जो लड़ा ही नही – 4

विपरीत समय मे विजय के 7 सुत्र
संकल्प
सहयोग
साधना
स्वध्याय
सत्संग
सेवा
समर्पण
1 संकल्प
2 सहयोग
3 साधना
संकल्प व सहयोग का समग्र अग्रेसर चरण
साधना साधन से ही निर्मित है।
हर विजय यात्रा शुरू करने से पहले की तैयारी
शारिरिक स्तर
मानसिक स्तर
व्यावहारिक स्तर
आध्यात्मिक स्तर
हर स्तर पर साधना संकल्प का मूल प्राण होती है ।
शरीर के स्तर पर घूमना ,दोडना , तैरना ,योग, प्राणायाम, ध्यान
संकल्प मे कामयाबी तभी जब इसका व्यर्थ व्यय नही
अर्थात दिन भर का आहार -विहार,आचार -विचार
इनका उपभोग कर ऊर्जा शून्य ना कर दे।
साधना मे सहयोग भी निहित है,क्योकि सहयोग से साधन ही तो जुटाते है।
साधना का सदुपयोग व रख -रखाव से
उत्तरोत्तर साधना सम्पदा मे प्रगति
यम-नियम-आसन-प्राणायाम-प्रत्याहार -धारणा -ध्यान -समाधि
सभी साधना के अवयव
यम -दूसरो के साथ जीने का आदर्श तरीका
नियम -अपने लिये उच्चतम मापदंड
ये दोनो दिन भर साधना की सुरक्षा करते हुये उसे उन्नत करते है।
साधना की सम्पदा कभी नष्ट नही होती 
इस जन्म मे या अगले जन्म मे ,
यात्रा आगे से ही शुरू होती है ।
साधना का धन संकल्प की प्रमुख पूंजी है।
प्रयोग-
सहयोगियों से मिले सहयोग का व्यावहारिक सदुपयोग ही साधना है ।
शरीर के स्तर पर सुबह जल्दी उठना भी साधना
सांयकालीन भोजन सूर्यास्त के 2 घण्टे तक करना भी साधना
पंच तत्वो को संतुलित मात्रा मे ग्रहण करना भी साधना
नियमित मॉर्निंग वाक,योग ,प्राणायाम भी साधना
मन के स्तर पर ज्ञान – ध्यान द्वारा वर्तमान मे रहना साधना
स्वध्याय जो साधना का निरंतर प्रगति पथ है ,जिनसे साधना उन्नत होती है ,अगले भाग मे उस पर संवाद करेंगे।
मंगल हो

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