श्रीडूंगरगढ़ लाइव 13 जून 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
सन् 1940 में श्रीडूंगरगढ़ तहसील
आजादी से पूर्व श्रीडूंगरगढ़ तहसील में कुल 96 गांव थे, जिनमें 5 गैर आबाद थे। सन 1940 में बीकानेर राज्य की समस्त तहसीलों के एक-एक गांव का राजस्व ब्यौरा तैयार किया गया। वह विवरण कुछ इस प्रकार है।
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे का उस समय कुल रकबा चवालीस हजार दो सौ साढा उनचास बीघा। इस समय यह खालसा था। इसकी आमद 3131 रुपये थी। कस्बे में उस समय 1723 मकान थे। कुल जनसंख्या 8212 थी, जिसमें मर्द 4028 तथा 4184 औरतें थीं।
श्रीडूंगरगढ़ तहसील में उस समय सबसे अधिक रकबा सेरूणा गांव का था। सेरूणा की कुल जमीं 104000 बीघा थी। इसकी रेख रकम इस समय 455 रुपये थी। यह बीदावतों के पट्टे में था। इस में उस समय 142 घर थे, जिनकी कुल जनसंख्या 683 थी। रकबे के हिसाब से तहसील का दूसरा सबसे बड़ा गांव मोमासर था। मोमासर इस समय खालसा था। इसकी कुल भूमि 73823 बीघा थी और इसकी सालाना आमद 53323 थी जो इस समय सबसे ज्यादा थी। मोमासर में उस समय 569 घर थे और कुल आबादी 2543 थी।
श्रीडूंगरगढ़ तहसील के दूसारणा गोदारान ब्राह्मणों के सांसण में, बापेऊ पुरोहितान राजपुरोहितों के सांसण में, सोनियासर बास मीठिया ब्राह्मणों के सांसण में, सालासर राजपुरोहितों के सांसण में, हेमासर ब्राह्मणों के सांसण में, भोजास राजपुरोहितों के सांसण में, कुंतासर राजपुरोहितों के सांसण में, रेवाड़ा चारणों के सांसण में, धीरदेसर पुरोहितान राजपुरोहितों के सांसण में, आडसर छोटड़ियो राजपुरोहितों के सांसण में, सुरजनसर गोस्वामियों के सांसण में, उदासर चारणान चारणों के सांसण में, तोलियासर राजपुरोहितों के सांसण में, कालू के पास वाला आडसरिया जो पहले श्रीडूंगरगढ़ तहसील में था, किंतु अब लूनकरणसर तहसील में है, यह उस समय राजपुरोहितों के सांसण में था।
उस समय किसी गांव के बावनी होना अच्छा समझा जाता था। जिस गांव का रकबा 52000 बीघा का होता, उसे बावनी कहा जाता था। गांव के लोग अपनी बावनी पर गर्व किया करते थे। श्रीडूंगरगढ़ तहसील के दूसारणा लटीवाला, कल्याणसर उतराधा, बाडेला, उदरासर, गुसाईंसर बड़ा बावनी के गांव रहे हैं। रकबे के हिसाब से सबसे छोटा गांव बिरमसर रहा है, जिसका रकबा मात्र 900 बीघा था। जिसकी रकम रेख मात्र 10 रुपये थी। तहसील का धोलिया गांव इस समय बीकानेर के नगर देव लक्ष्मीनाथजी के पट्टे में था। इस समय लिखमीसर उतराधा, कल्याणसर दिखणादा, राजेड़ू,बिग्गा, उदरासर, लोढेरां, गुसाईंसर महाराज कुमार जूनियर के पट्टे में थे।










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