श्रीडूंगरगढ़ लाइव 09 जून 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
ये थे यहां के प्राचीन खेल

कभी श्रीडूंगरगढ़ में ये खेल खेले जाते थे। चौपड़–शतरंज-गंजीफो-चरभर। गंजीफो में 97 पत्ते होते थे। इसकी जगह 52 पत्तों की ताश ने ले लिया। शुरु में ताश खेलने को हेय माना जाता था। उसे जुए के साथ जोड़ कर देखा जाता था-जबकि बहुत से लोग केवल मनोरंजन के लिए खेलते रहे हैं। फिर इस ताश का ऐसा उन्माद आया कि श्रीडूंगरगढ़ में पचासों जगह खेली जाने लगी। गलियों में खेले जाने वाले खेलों में कब्बडी,कांय-कांय, खोड़ियो खाती, मोई डंको, मार दड़ी, सतम ताळी, सुरज कुंडाळो, हरदड़ो, लूण क्यार, कांजी कोरड़ो,टप्पा घोड़ी, टोडीलो-पाडीलो, ऐस पेस, लुकमीचणी, आंधो घोटो, चिरमी ठोलो, भूं भूं भरियो, बोल म्हारी मछली, उतर भीखा-म्हारी बारी, दौड़ बिल्ली कुत्तो आयो, बाद में तो न जाने क्या-क्या खेल आ गए, जिन्होंने पुराने खेलों का चलन बंद कर दिया। अब हालात ये है कि बच्चे इन खेलों को भूलते जा रहे है और घरों में बैठकर मोबाईल पर ही खेल खेलते रहते है जिससे उनका शारीरिक व्यायाम कम हो गया है।

सतोळीया
भारत के कुछ भागों में इस खेल को पिट्ठू या लागोरी के नाम से भी जाना जाता है। किसी भी संख्या में लोग इसे खेल सकते हैं। इसमें सात छोटे पत्थरों की जरूरत होती है; हर पत्थर का आकार दूसरे पत्थर से कम होना चाहिए। घटते आकार के क्रम में पत्थरों को एक-दूसरे के ऊपर रखें। एक निश्चित दुरी से एक बॉल को पत्थरों के ढेर पर फेंकना होता है।

गट्टे
यह पारंपरिक खेल बच्चों और बड़े दोनों द्वारा खेला जाता है। इस साधारण खेल के लिए 5 छोटे पत्थरों की आवश्यकता होती है। आप हवा में एक पत्थर उछालते हैं और उस पत्थर के जमीन पर गिरने से पहले अन्य पत्थरों को चुनते हैं। यह गेम कितने भी लोगों के साथ खेला जा सकता है।

कंचे
बच्चों के बीच कंचा खेलना सबसे प्रसिद्द खेल होता था। इस खेल को मार्बल से खलते हैं, जिसे ‘कंचा’ कहते हैं। इस खेल में सभी कंचे इधर-उधर कुछ दुरी पर बिखेर दिए जाते हैं। खिलाडी एक निश्चित दुरी से एक कंचे से दूसरे कंचों को हिट करता है। जो खिलाडी सभी कंचों को हिट कर लेता है वह विजेता होता है।इसमे भी अलग अलग खेल होते थे। आखिर में सभी कंचे विजेता को दे दिए जाते हैं।

खो-खो
यह भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। इसमें दो टीम होती हैं। एक टीम मैदान में घुटनों के बल बैठती है। सभी खिलाडी एक-दूसरे के विपरीत दिशा में मुंह करके बैठते हैं। जो भी टीम सभी सदस्यों को टैप करके सबसे कम समय में खेल खत्म करती है वही विजयी होती है।यह खेल आज भी खेला जाता है

गिल्ली डंडा
भारतीय गांवों की गलियों में खेले जाने वाला यह खेल बच्चों का सबसे पसंदीदा खेल है। इसमें दो छड़ें होती हैं, एक थोड़ी बड़ी, जिसे डंडे के रूप में प्रयोग किया जाता है और छोटी छड़ को गिल्ली के लिए। गिल्ली के दोनों तरफ के छोर को चाक़ू से नुकीला किया जाता है।

चौपड़
इसमें सभी खिलाडियों को अपने विरोधी से पहले अपनी चारों गोटियों को बोर्ड के चारों और घुमाकर वापिस अपने स्थान पर लाना होता है। चारों गोटियां चौकरनी से शुरू होकर चौकरनी पर खत्म होती हैं।

लंगड़ी टाँग
इस खेल घर के अंदर, बाहर और गली में खेला जा सकता है। आपको बस एक चौक से जमीन पर रेक्टैंगल डिब्बे बनाने हैं और उनमें नंबर लिखने होते हैं। हर एक खिलाडी बाहर से एक पत्थर एक डिब्बे में फेंकता है और फिर किसी भी डिब्बे की लाइन को छुए बिना एक पैर पर (लंगड़ी टांग) उस पत्थर को बाहर लाता है।इस खेल को कई और नामों से भी जाना जाता है, जैसे की कुंटे, खाने आदि।

एस-पेस या लुक मिचनी
इसे हाइड एंड सीक नाम से भी जाना जाता है। इसमें एक खिलाड़ी को अपनी आंखें बंद करते हुए निर्धारित गिनती गिननी होती है। इसी दौरान बाकी खिलाड़ियों को सीमित एरिया में छिपना होता है।खेल की अगली कड़ी में आंखें बंद करने वाले खिलाड़ी को छिपे हुए सभी खिलाड़ियों को ढूंढना होता। अगर वह इसमें सफल होता है, तो सबसे पहले ढूंढ़े गए खिलाड़ी को अपनी आंखें बंद करनी होती है और सेम प्रक्रिया को दोहराना होता है।

आंख-मिचौली
इस खेल में एक खिलाड़ी की आंखों में पट्टी बांधी जाती है। फिर से उसे बाकी खिलाड़ियों को पकड़ना होता है। पकड़े जाने पर दूसरे खिलाड़ी को इसी प्रक्रिया से गुजरना होता है।इस गेम को खेलने का एक और दिलचस्प तरीका है। इसके तहत जिस खिलाड़ी की आंखें बंद होती है। उसके सिर पर बाकी खिलाड़ी एक-एक करके थपकी मारते हैं।ऐसे में अगर वह सबसे पहले मारने वाले को पहचान लेता है, तो पहचाने गए खिलाड़ी की आंखें बंद की जाती है। इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या पर प्रतिबंध नहीं होता।










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