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इतिहास के पन्नो से …. श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय की भूमिका का एक किस्सा

श्रीडूंगरगढ़ लाइव 03 जून 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय की भूमिका का एक किस्सा


एक बार श्रीडूंगरगढ़ के ओसवालों की दो बारातें निकट के कालू गांव में गई। कालू के तोलाचंद कोठारी और पदमचंद नाहटा की सुपुत्रियों का विवाह था। बारातें चार दिन रुकी। डाॅ जेठमलजी भंसाली के बड़े भाई हीरालालजी भंसाली बारात में थे। कोई व्यक्ति उन्हें कालू का सरस्वती पुस्तकालय दिखाने के लिए ले गया। एक अच्छे पुस्तकालय तथा वहां से निकलनेवाली हस्तलिखित पत्रिका को देखकर हीरालालजी दंग रह गए। उन्हें थोड़ी सी ग्लानि हुई कि कालू जैसे छोटे गांव में पुस्तकालय है और श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय से वंचित है। उन्होंने आते ही शहर के गणमान्य लोगों की एक मीटिंग बुलाई। साथ में जुटे कालूबास के कन्हैयालाल आसोपा। संवत 1997 में श्रीडूंगरगढ में पुस्तकालय खुल गया। कालू का पुस्तकालय श्रीडूंगरगढ़ से पांच वर्ष पहले संवत 1992 में खुल गया था।

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