श्रीडूंगरगढ़ लाइव…27 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
अद्भुत निष्ठा

श्रीडूंगरगढ़ में लगभग सभी लोग श्री यमुनाप्रसादजी लखोटिया को जानते रहे हैं। वे चूरू जिला माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष थे। नगरपालिका के चेयरमैन रहे। गोपाल गौशाला के मंत्री रहे। बहुत सारे पदों पर रहे। लेकिन वे चर्चित अपने पदों के कारण से नहीं–अपने दबंग स्वभाव के कारण थे । वे जिस चीज के बारे में जो निर्णय दे देते वह फिर लोहे की लकीर समझो। उनके फैसले को बदलवाना संभव नहीं था। स्वभाव में मुंहफटपना और अखड़ता थी तो थी–अपनी बात में उन्हें किसी की परवाह नहीं रहती। इतने सब के बावजूद माहेश्वरी समाज की पंचायती उनके बिना पूरी नहीं होती।
ये सभी बातें पच्चीस वर्ष पूर्व के यमुनाप्रसादजी की थी। इधर के पच्चीस वर्षों में यमुनाप्रसादजी ने अपने व्यक्तित्व को पूरा ही बदल डाला। स्वामी कृष्णानंदजी और स्वामी रामसुखदासजी महाराज के प्रभाव से वे पूर्णतया बाहरी दुनिया से कट गए और उन्होंने अपनी लौ परमात्मा से जोड़ ली। अपने घर के बाहरी कक्ष को ही अपना साधना स्थल बना डाला। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मादि से निवृत्त हो कर वे अपने आसन पर बैठ जाते और निरंतर आठ घंटे गायत्री मंत्र का जाप करते। 108 मणियों की गायत्री मंत्र की 64 माला वे रोज फेरते। 24 लाख जप का एक पुरश्चरण हुआ करता है। पच्चीस वर्षों में उन्होंने पच्चीस पुरश्चरण कर डाले। इस मायने में आप उन्हें दुर्लभ कोटि का साधक कह सकते हैं। उनके स्वभाव में भाव- विगलता और विनम्रता आ गई। संसार की असारता को उन्होंने भली प्रकार जान लिया। यहां तक कि अपने गोलोकवास के पूर्व उन्होंने सभी परिचित-रिश्तेदारों से क्षमा प्रार्थना की कि मनसा-वाचा-कर्म से आपके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार हुआ है तो यह यमुनाप्रसाद नामना व्यक्ति आपसे बार- बार क्षमा चाहता है।
मित्रों–होश में आया व्यक्ति इस तरह से अपने कर्मों से मुक्त होकर जीवित मुक्ति पा लेता है। हमारे जीवन रूपी वृक्ष के एक एक पात झरते जा रहे हैं।










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