श्रीडूंगरगढ़ लाइव…23 मई 2023।देश की आजादी के लिए चले आंदोलन में देश के गांव-गांव और शहर-शहर से आजादी के दीवानों ने आंदोलन की अलख जलाई। जेल गए, यातनाएं सहीं और आमजन को आंदोलनों के जरिए जागरूक किया। देश गुलामी की बेडि़यों से मुक्त हो और देशवासी आजादी से श्वास ले सकें, इसके लिए व्यक्तिगत प्रयासों के साथ कई परिवार आजादी के समर में कूद पड़े। वर्षों तक आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी परिवारों में शामिल है बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम शर्मा (सारस्वत) का परिवार।वैद्य मघाराम शर्मा मूलतः श्रीडूंगरगढ़ तहसील के उदरासर गांव से थे। कुछ वर्षों तक श्रीडूंगरगढ़ रहे, यहां पुलिस ने बहुत तंग किया। फिर यहाँ से बीकानेर चले गए।

आजादी के आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम शर्मा, बहन खेती बाई और पुत्र रामनारायण शर्मा कई आंदोलनों में अग्रणी रहे। वैद्य मघाराम शर्मा ने बीकानेर सहित कलकत्ता और प्रदेश के कई स्थानों पर स्वतंत्रता आंदोलनों व संगठनों में प्रभावी भूमिका निभाई। कलकत्ता में बीकानेर प्रजा मंडल के गठन में अग्रणी रहे। बहन खेती बाई भी राज के सैनिकों से लोहा लेकर प्रभावी भूमिका में रहीं। शहर में स्वतंत्रता सेनानी रामनारायण शर्मा सक्रिय रहे। कई बार जेल गए, यातनाएं सहीं और शहर में देश की आजादी से पहले पहली बार तिरंगा फहराया।
पिता-पुत्र कूदे आजादी के समर में
देश के आजादी के आंदोलन में पिता और पुत्र के एक साथ आजादी की अलख जगाने में वैद्य मघाराम शर्मा व रामनारायण शर्मा की भूमिका अहम रही। उस दौर में वैद्य मघाराम शर्मा व रामनारायण शर्मा ने तत्कालीन रियासतों व अंग्रेज सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। कई बार जेल गए, महीनों यातनाएं सहीं, जेल में भूख हड़ताल तक की।
बीकानेर रियासत में फहराया तिरंगा
वर्ष 1942 में पूरे देश में आजादी का आंदोलन परवान पर था। गांव-गांव और शहर-शहर में देश की आजादी के लिए लोग सड़कों पर उतर रहे थे। स्वतंत्रता सेनानी रामनारायण शर्मा ने बीकानेर रियासत में पहली बार तिरंगा फहराया। इससे लोगों में आजादी के प्रति और प्रेरणा मिली व लोग सड़कों पर उतरे। हालांकि तिरंगा फहराने पर रामनारायण शर्मा को गिरफ्तार भी किया गया था। शर्मा ने केन्द्रीय जेल में भूख हड़ताल भी की। दूधवाखारा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।










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