श्रीडूंगरगढ़ लाइव…19 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
काम करने का जुनून
श्रीडूंगरगढ़ में जब रेलवे स्टेशन स्थापित होना तय हुआ तो नगर के श्रेष्ठीजनों द्वारा यह विचार किया गया कि लोगों की सुविधार्थ स्टेशन के निकट एक धर्मशाला का निर्माण होना चाहिए। उस समय श्रीडूंगरगढ़ में धनाढय व्यक्ति राय बहादुर आशारामजी झंवर ही थे और दूसरी पार्टी बालचंदजी डागा थे। आशारामजी ने स्टेशन पर धर्मशाला बनवाने के लिए जमीन का नापजोख करवाया। बालचंदजी डागा के प्रेरणा हुई कि यह धर्मशाला उन्हें बनानी चाहिए। उन्होंने रातोरात सैकड़ों लोगों को तैयार किया। आनन-फानन में सुरखी-चूने-भाटे और तीन चार घट निकालनेवाले लोगों का बंदोबस्त किया गया। तब एक आना की मजदूरी मिलती थी-उन्होंने रातभर काम करने वाले को दुगुनी मजूरी देने का वादा किया तो सैकड़ों मजदूर जुट गए। रात रात में आधे से ज्यादा धर्मशाला बन गई। कारीगरों ने डागाजी से पूछा कि इसका दरवाजा किस दिशा में रखें? बालचंदजी ने कहा–चारों दिशाओं में एक एक दरवाजा रख लिया जाए। बालचंदजी के बीकानेर राज्य में रसुखात अच्छे थे,फलस्वरूप वे अगले दिन अपनी धर्मशाला का मनचाहा पट्टा बनवाकर ले आए।
दूसरे दिन आशारामजी ने देखा तो उन्हे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जहां वे धर्मशाला बनानी चाहते थे- वहां तो आधी से ज्यादा धर्मशाला बन चुकी थी। उन्होंने कहा–चलो-कोई बनाए-धर्मशाला बननी चाहिए थी।










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