श्रीडूंगरगढ़ लाइव…15 मई 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
बात चुभ गई और धनपति हो गए
सरदारशहर नया बसा संवत 1896 को । सरदारशहर बसानेवाले बीकानेर महाराजा रतनसिंहजी कर्ज में दबते जा रहे थे, तब उनका आग्रह था कि नए बसनेवाले शहर में वणिक लोगों को अधिक बसाया जाए, ताकि अधिक कर जगात मिले । जिन जिन गांवों में बनियों की बस्ती अधिक थी, वहां हरकारे भेजे गए । सरदारशहर से श्रीडूंगरगढ़ के मध्य तीन गांव बनियों के थे–सवाई, मोमासर और तोलियासर । सवाई के चिंडालिया, छाजेङ आदि अनेक जातियां सरदारशहर जा बसी । मोमासर के वणिकों को सरदारशहर अधिक लुभा नहीं पाया । तोलियासर के वणिक जाने के लिए एकमत हो गए । तोलियासर में वणिकों की आर्थिक स्थिति कोई अधिक अच्छी नहीं थी, इसलिए – दूगङ, बोरङ, कोठारी , जम्मङ ,नाहटा, सेठिया सरदारशहर बसने के लिए तैयार हो गए । तोलियासर के जम्मङो में एक दबंग व्यक्ति थे-खेतसीदास जम्मङ ।उनके पिता थे उम्मेद मल जम्मङ, उन्होंने तोलियासर छोङने से मना कर दिया, उन्होंने कहा– तोलियासर को कैसे छोङ सकते हैं, यहाँ हमारे इष्ट भैरूंजी महाराज हैं । आखिर पिता तोलियासर ही रह गए और पुत्र अपने हमउम्र लोगों के साथ सरदारशहर जा बसे । सरदारशहर मे कच्चे मकान-झौंपङे बनाकर रहने लगे ।
सरदारशहर में कुछ वर्षों बाद एक औसर हो रहा था । उस औसर में अन्य महिलाओं के साथ खेतसीदास जममङ और तोलियासर से आए हुए बींजराज दूगड़ की पत्नियां जीमने गई । वहां खेतसीदास जममङ की बहू के बाकी गहने तो काच और कपङे से बने थे, किन्तु चांदी के बाजूबंद वह किसी पङौसिन के मांगकर पहने हुए थी । तभी किसी महिला ने ताना मारा–क्या बाजूबंद दिखाती हो, बडेरे तो सिणियों में कूक रहे हैं, औसर ही नहीं हुआ । महिलाओं ने तानों की यह बातें अपने पतियों से कही । खेतसीदास जम्मङ और बींजराज दूगड़ को बात लग गई, दोनों दोस्त कलकत्ता रवाना हो गए । दोनों ने अनेक वर्षों तक सम्मिलित व्यवसाय किया । कुछ वर्षों में लौटकर, बाप दादों के जोरदार औसर किए, हवेलियां बनवाई ।अनेक परोपकार के काम किए । तोलियासर से वणिकों के गए ये सभी परिवार सरदारशहर के सम्मानित परिवार हैं । प्रसिद्ध चैनरूप-संपतराम दूगड़ परिवार मूलतः तोलियासर का ही था ।










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