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लीगल एडवाइज : पुलिस और आपके अधिकार

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…04 मई 2023।श्रीडूंगरगढ़ लाइव सटीक खबरों के साथ सामाजिक, ऐतिहासिक, स्वास्थ्यपरक कॉलम भी पाठकों के लिए प्रतिदिन प्रकाशित करता है। अब अपने पाठकों के लिए श्रीडूंगरगढ़ लाइव पोर्टल लेकर आया है “लीगल एडवाइज” यानि विधिक सलाह। युवा एडवोकेट सोहन नाथ सिद्ध आपको बताएंगे आपके अधिकारों के बारे में और आपको मिलेगी कानूनी सलाह।

पुलिस और आपके अधिकार:-

थाने में आने वाले प्रत्येक पीड़ित की सूचना प्राथमिकी यानी एफआईआर (FIR) / DD Entry दर्ज करना पुलिस की पहली जिम्मेदारी है जब बात पुलिस और आपके अधिकार की आती है तो पुलिस आपको एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती आपको इसकी एक कापी मुफ्त में उपलब्ध कराना भी उसी की जिम्मेदारी है।

पुलिस बगैर कारण बताए गिरफ्तार नहीं कर सकती-

कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी सीआरपीएसी (CRPC), जिसे हिंदी में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता भी कहते हैं, की धारा 50 (1) के मुताबिक यदि पुलिस ऐसा करती है तो उसे आपको कारण बताना होगा यदि वह ऐसा नहीं करती तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।

नोन काग्निजेबल आफेंस यानी असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफतार व्यक्ति को गिरफतारी वारंट देखने का अधिकार होगा, अलबत्ता संज्ञेय यानी गंभीर अपराध के मामले में पुलिस वारंट दिखाए बगैर भी गिरफतार कर सकती है लेकिन इसके लिए भी उसे किसी सीनियर पुलिस अफसर एवं मजिस्ट्रेट की अनुमति की आवश्यकता होगी।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से अरेस्ट मेमो में हस्ताक्षर लेने जरूरी-

पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से अरेस्ट मेमो (arrest memo) पर आवश्यक रूप से हस्ताक्षर लेने होंगे। सीआरपीसी की धारा 41 (B) के अनुसार पुलिस को यह अरेस्ट मेमो तैयार करना होगा। इसमें पुलिस अधिकारी की रैंक का उल्लेख होने के साथ ही गिरफ्तार करने का वक्त एवं पुलिस अफसर के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के हस्ताक्षर भी होते हैं।

इसके साथ ही किसी को गिरफ्तार करने गए पुलिस अफसर को वर्दी में होना आवश्यक है। यह भी प्रावधान है कि नेम प्लेट पर उसका नाम साफ साफ लिखा हो।

पुलिस किसी को भी 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती-

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 57 में यह व्यवस्था दी गई है। उसे गिरफतार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करना जरूरी है।

यदि पुलिस संबंधित व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना चाहती है तो उसे सीआरपीसी की धारा 56 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी एवं साथ ही मजिस्ट्रेट को इजाजत देने की वजह भी बतानी होगी।

पुलिस किसी व्यक्ति से मारपीट अथवा अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती
पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट अथवा अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती। इस संबंध में देश की सर्वोच्च विधिक संस्था सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी किया गया है।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य का जिम्मा पुलिस का-

पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में अथवा गिरफ्तार करके थाने लाकर भूखा नहीं रख सकती। सीआरपीसी की धारा 55 (1) के अनुसार गिरफतार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य का ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी है।

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