श्रीडूंगरगढ़ लाइव…01 मई 2023।श्रीडूंगरगढ़ लाइव सटीक खबरों के साथ सामाजिक, ऐतिहासिक, स्वास्थ्यपरक कॉलम भी पाठकों के लिए प्रतिदिन प्रकाशित करता है। अब अपने पाठकों के लिए श्रीडूंगरगढ़ लाइव पोर्टल लेकर आया है “लीगल एडवाइज” यानि विधिक सलाह। युवा एडवोकेट सोहन नाथ सिद्ध आपको बताएंगे आपके अधिकारों के बारे में और आपको मिलेगी कानूनी सलाह।
पति या पत्नी बिना तलाक का दूसरा विवाह कर ले तो किस प्रकार का अपराध होगा :-
भारत के कानून में तलाक का प्रावधान जरूर है परंतु यह प्रावधान महिला अथवा पुरुष के तलाक के अधिकार का संरक्षण नहीं बल्कि विवाह के संरक्षण का प्रयास करता है यही कारण है कि न्यायालय द्वारा जब तक तलाक की डिक्री पारित नहीं की जाती तब तक पति अथवा पत्नी दोनों में से कोई भी दूसरा विवाह नहीं कर सकता
आईये जानते हैं कि यदि कोई मनुष्य इसका उल्लंघन करता है और दूसरी शादी कर लेता है, तब उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी।
हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत बिना तलाक दूसरी शादी
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 कहता है की पति या पत्नी पहली शादी वैध होते हुए अगर दूसरा विवाह कर लेता है तो दूसरा विवाह अवैध होगा अर्थात शून्य होगा अर्थात दूसरी पत्नी को कानूनी तौर पर पत्नी का दर्जा नहीं मिलेगा, कानूनी पहचान नहीं मिलेगी, उत्तराधिकार नहीं मिलेगा यानी महिला करवा चौथ का व्रत तो रख सकेगी परंतु यदि पति की मृत्यु हो गई तो उसकी संपत्ति में उसे कोई अधिकार नहीं मिलेगा
आईपीसी की धारा 494 के तहत दूसरा विवाह एक अपराध
सिर्फ इतना ही नहीं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 494 कहती है कि अगर कोई पति या पत्नी बिना तलाक के या पहली शादी वैध होते हुए अपने जीवन काल मे दूसरी शादी या पुनः विवाह कर लेता है या कर लेती हैं तब यह एक अपराध होगा
IPC की धारा 494- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं राजीनामा के नियम
आईपीसी की धारा 494 का अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत एनसीआर (crpc धारा 155 के निर्देशानुसार) दर्ज करेगा एवं जमानत भी पुलिस थाने से ही ली जा सकती है इस अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है, इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना, दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार पति या पत्नी द्वारा पुनः विवाह का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर अर्थात न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जो या तो पत्नी हो या पति हो उसका।











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