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इतिहास के पन्नो से….

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…11 अप्रेल 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

 

शहर बसावट के प्रथम पांच पंचों में चौथमलजी मालू

श्रीडूंगरगढ़ के प्रथम पांच पंचों में एक चौथमलजी मालू थे। चौथमलजी मालू कहते हैं श्रीडूंगरगढ़ के निकट के भोजास गांव से यहां आए। ओसवाल समाज ने उन्हें अपने पंच का मान दे रखा था। रायबहादुर आशारामजी झंवर के निकट में हवेली थी तथा मुख्य बाजार में एक दूकान थी,जिसे आजकल हम कमला स्टोर के नाम से जानते हैं।
चौथमलजी के एक ही पुत्र थे शिवजीरामजी। वे भी अपने दादा के पद चिह्नों पर चलनेवाले व्यक्ति थे। उनके दो पुत्र हुए। एक पुत्र का बाल्यावस्था में ही निधन हो गया। दूसरे पुत्र का नाम सुखलालजी मालू था। सुखलालजी ने श्रीडूंगरगढ़ में अणुव्रत समिति का बड़ा काम किया, वहीं वे जैन विद्या की परीक्षाओं के आयोजक थे। तेरापंथ को उन्होंने अपना जीवन दे रखा था। बाजार में दूकान होते हुए भी उनका स्वतंत्र मन किसी धंधे में बंधना पसंद नहीं करता था। वे सट्टा करते और थोड़ी बहुत लाॅटरी की टिकट विक्रय किया करते।इससे उनकी आजीविका आराम से चलती। मितव्ययी व्यक्ति थे। उनके संतति रूप में एक पुत्री ही हुई। जो विजयराजजी सेठिया को ब्याही गई। आज भी उनके घर श्रीडूंगरगढ़ का विस्तृत पट्टा सुरक्षित है।

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