श्रीडूंगरगढ़ लाइव…28 मार्च 2023।हाईकोर्ट ने पत्रकारों के सम्मान को सुरक्षित करने के लिए लिया निर्णय।
जयपुर हाईकोर्ट ने पत्रकारों के सम्मान को सुरक्षित करने के लिए निर्णय लेते हुए बताया कि पत्रकार स्वतंत्र है। उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों पर तुरंत कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। पत्रकार अपनी काबिलियत एवं श्रम निष्पक्षता के साथ काम करते हैं।
हाइकोर्ट की टिप्पणी के बाद पीएम और सीएम का भी ऐलान आया है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर 50 हजार रुपयों का जुर्माना एवं 03 साल की जेल हो सकती है । पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा
पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत
कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें और पत्रकारों से मान-सम्मान से बात करें वरना बदसलूकी करने वाले को पड़ेगा महंगा। पत्रकारों के साथ
बदसलूकी करने वाले असामाजिक तत्त्वों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी FIR दर्ज हो सकती है। क्योंकि पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं है।
कोर्ट और सरकार ने यह फैसला पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते लिया है। कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते हैं, उसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे। किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नही कर सकती। पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा। काटजू ने कहाँ कि, “जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं पर वे भीड़ का हिस्सा नहीं होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है। प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है और उसमें स्पष्ट कहा है कि, पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्धसैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी।
सरकारें ये सुनिश्चित करें कि, पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कहीं न हो।
पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मीडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा। इसके साथ ही कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा पत्रकारों को डराने, धमकाने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देना भी अपराध की श्रेणी में आएगा।
सोर्स:न्यूज़










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