श्रीडूंगरगढ़ लाइव…21 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो अपने रहस्यमय कारणों के चलते हमेशा चर्चा में रहती हैं।आज हम ऐसे ही गांव की बात करेंगे जो पिछले 200 सालों से वीरान पड़ा है।ऐसी किवंदतियां है कि रात को उस गांव में कोई नही ठहर सकता।
उस गांव का नाम है “कुलधरा”
कहा जाता है कि ये गांव पिछले कई सालों से शापित हो रखा है। आज हम कुलधरा गांव के रहस्य को जानेंगे। कुलधरा गांव के इस रहस्य के पीछे एक ऐतिहासिक घटना छुपी है। इस गांव में पिछले कई सालों से कोई बसेरा नहीं हुआ है। गांव के आसपास के लोगों का कहना है कि यहां पर अक्सर कई भूतिया घटनाएं होती हैं। इस कारण यहां पर कोई भूल कर भी जाने की कोशिश नहीं करता। आज ये पूरी जगह बंजर और वीरान हो चुकी है। जर्जर हालातों में पड़े यहां के खंडहर आज भी उस घटना की गवाही देते हुए दिखते हैं, जिसने इस सुंदर गांव को एक वीराने में तब्दील कर दिया। कुलधरा गांव आज जिस हालात में है वैसे पहले कभी नहीं था। ये गांव पहले काफी सुंदर हुआ करता था।

आज से लगभग 200 साल पहले कुलधरा गांव में पालीवाल ब्राह्मण काफी संख्या में रहते थे। 1825 में अचानक इस गांव को सभी लोगों ने खाली कर दिया। मान्यता है कि गांव को खाली करते हुए लोगों ने ये श्राप दिया कि जो कोई भी इस गांव में बसने की कोशिश करेगा। वो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। उस घटना के बाद से ये गांव अब तक वीरान पड़ा है। आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसके चलते पालीवाल ब्राह्मण और बाकी लोगों ने गांव को छोड़ते हुए ये श्राप दिया।

इतिहास
इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने सन 1291 में बसाया था। पालीवाल ब्राह्माण पाली के निवासी थे। वे सभी 11वीं शताब्दी में पाली से विस्थापित होकर राजस्थान के विभिन्न स्थानों जोधपुर, जैसलमेर, साथलमेर, बीकानेर आदि में आकर रहने लगे। उस दौरान कुलधरा काफी समृद्ध गांव हुआ करता था। ये गांव हर सुख सुविधा से संपन्न था। यहां पर कई बड़ी बड़ी हवेलियां हुआ करती थीं।

अचानक इस गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया। एक मान्यता के अनुसार यहां की रियासत के दीवान सालेम सिंह की नजर गांव के ब्राह्मण की पुत्री शक्ति मैया पर थी। वह उसके साथ विवाह करना चाहता था। वहीं दूसरी तरफ गांव का ब्राह्मण अपनी पुत्री का विवाह किसी दूसरी बिरादरी में नहीं करना चाहते थे। ऐसे में सालेम सिंह ने गांव वालों को धमकी दी कि अगर वो शक्ति मैया से उनकी शादी नहीं करवाते हैं, तो वो पूरे गांव को तहस नहस कर देगा। ऐसे में गांव के सभी पालीवाल ब्राह्मणों ने पंचायत में ये निर्णय लिया कि वे इस गांव को छोड़ देंगे। उसके बाद सभी ब्राह्मण गांव को वैसा ही छोड़कर रातों रात वहां से चले गए। जाते वक्त उन्होंने ये श्राप भी दिया कि जो कोई भी इस गांव में बसने की कोशिश करेगा। वो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।

वहीं दूसरी कहानी की मानें तो गांव वालों ने सालेम सिंह द्वारा अत्यधिक मात्रा में कर वसूले जाने की वजह से परेशान होकर गांव को छोड़ा। वहीं तीसरी कहानी जो थोड़ा वैज्ञानिक भी लगती है, उसके मुताबिक पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा इस गांव को छोड़ने की मुख्य वजह सूखा और गांव में पानी के जलस्तर का नीचे गिरना था। हालांकि आज भी कई लोगों का कहना है कि इस गांव में श्राप के कारण भूतिया घटनाएं होती हैं।










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