




श्रीडूंगरगढ़ लाइव…13 मार्च 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।
श्रीडूंगरगढ़ का चर्चित ऐतिहासिक विवाद
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विवाद से मनुष्य समाज का सदैव से नाता रहा है। श्रीडूंगरगढ़ में भी अनेक विवाद होते रहे हैं। पर, कुछ विवाद ऐसे होते हैं, जो बड़े विवाद हो जाते हैं। ऐसे ही एक विवाद की तफसील यहां यथातथ्य दे रहे हैं।
दिनांक 20 मार्च 1918 को श्रीडूंगरगढ़ शहर के गणमान्य ओसवाल बंधुओं ने बीकानेर के तत्कालीन महाराजा गंगासिंहजी के न्यायालय में अरजी दी कि श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के मंडीवाले कुए के आथूण (पश्चिम) की जमीन में बख्तावरमल बाहेती मंदिर बनवा रहा है। उससे तकलीफ है, बंद करवाया जावे।
गौरतलब है कि मंडीवाले कुए के आथूण की तरफ बख्तावरमल वल्द मूलचंद बाहेती ने राज से मंदिर बनवाने के लिए मुफ्त में जमीन ली है तथा इससे चिपता एक नोहरा 1000 रुपये में लिया है जो सरकारी मदरसे से चिपता है। मंदिर बनाने की यह जमीन कुए की है। यहां ढोर-डंगर पानी पीते हैं। खड़े रहते हैं। ऊंट गाड़े पानी ले जाते हैं और गायों गोधों को पिलाते हैं। बास रूपालसर की गणगौर यहां पानी पीती है और बैठती है। उसका मेला होता है। इसलिए यहां मंदिर बन जाने से कुआ के वास्ते और ऊपर लिखे कामों वास्तै जमीन तंग रह जाएगी। जिससे हम लोगों को बहुत तकलीफ होगी। बख्तावरमल के पास और भी बहुत सी जमीनें हैं। जिनमें मंदिर करवा सकता है। पहले इस जमीन को बहुत से लोगों ने खरीदना चाहा, पर हम लोगों के ऊजर से जमीन नहीं बेची गई। बख्तावरमल ने खरीदी तो हमको खबर नहीं हुई। अब वह इस जमीन पर नींव खोद रहा है। तब हमको खबर हुई है। इसलिए राज से अरज है कि इस जमीन को कुए के सामने खाली रहने दिया जाए। बख्तावरमल को रोका जाए। बख्तावरमल को तुरत नहीं रोका जाएगा तो वह तामीर करवा लेगा। हमें इन्साफ मिले। तारीख 20-3-18
दस्तखत:
दौलतराम भादानी, बींजराज पुगलिया,भैरूंदान डागा, लाभूराम मालू, डालचंद नौलखा,प्रतापचंद भंसाली,लालचंद पुगलिया,लिखमीचंद श्रीमाल, पनेचंद डागा, हजारीमल झाबक, हेतराम दूगड़,बेगराज पुगलिया, मूलचंद दूगड़, छोगमल भादानी, खेतसीदास पारख ।
यह मुकदमा 17-5-18 तक चला।










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