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करे योग…रहे निरोग : राजू हीरावत

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…3 मार्च 2023।श्रीडूंगरगढ़ लाइव के सभी पाठकों के लिए इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए योग के आसन, प्राणायाम की पूरी जानकारी के सहित सही व सटीक विधि स्वास्थ्य कॉलम में प्रस्तुत की जाएगी। ये कॉलम पाठकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए राजू हीरावत, योग व मेडिटेशन स्पेशलिस्ट द्वारा प्रस्तुत की जाएगी। आप दी गई जानकारी के लिए अपनी जिज्ञासा व्हाट्सएप नम्बर 9414587266 पर मैसेज कर जान सकेंगे।

शवासन
शवासन, योग विज्ञान का बेहद महत्वपूर्ण आसन है। शवासन को किसी भी योग सेशन के बाद बतौर अंतिम आसन किया जाता है। ‘शवासन’ शब्द दो अलग शब्दों यानी कि ‘शव’ (corpse) और ‘आसन’ से मिलकर बना है। ‘शव’ का शाब्दिक अर्थ होता है मृत देह जबकि आसन का अर्थ होता है ‘मुद्रा’ या फिर ‘बैठना’।

आम धारणा है कि शवासन बेहद सरल आसन है। जबकि हकीकत ये है कि शवासन योग विज्ञान के सबसे कठिन आसनों में से एक है। ये आसन देखने में बेहद सरल लगता है लेकिन इसमें सिर्फ लेटना ही नहीं होता है बल्कि अपने मन की भावनाओं और शरीर की थकान दोनों पर एक साथ नियंत्रण पाना होता है।

शवासन को योगा सेशन के बाद किया जाता है। इसे करने से डीप हीलिंग के साथ ही शरीर को गहरे तक आराम भी मिलता है। इस आसन को तब भी किया जा सकता है जब आप बुरी तरह से थके हों और आपको थोड़ी ही देर में वापस काम पर लौटना हो। शवासन का अभ्यास न सिर्फ आपको ताजगी ​बल्कि ऊर्जा भी देगा।

शवासन करने की विधि
1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। ये सुनिश्चित करें कि आसन करने के दौरान कोई भी आपको डिस्टर्ब न करे। आप बिना किसी समस्या के आराम से लेटे हों। लेकिन किसी तकिया या कुशन का इस्तेमाल न करें। सबसे अच्छा यही है कि आप सख्त सतह पर लेटे हुए हों।

2. अपनी आंखें बंद कर लें।

3. दोनों टांगों को ध्यान से अलग-अलग कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि आप पूरी तरह से रिलैक्स हों और आपके पैरों के दोनों अंगूठे साइड की तरफ झुके हुए हों।

4. आपके हाथ आपके शरीर के साथ ही हों लेकिन थोड़ी दूर हों। हथेलियों को खुला लेकिन ऊपर की तरफ रखें।

5. अब धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से की तरफ ध्यान देना शुरू करें, शुरुआत पैरों के अंगूठे से करें। जब आप ऐसा करने लगें, तो सांस लेने की गति एकदम धीमी कर दें। धीरे-धीरे आप गहरे मेडिटेशन में जाने लगेंगे। लेकिन जैसे ही आपको आलस या उबासी आए सांस लेने की गति तेज कर दें। आपको शवासन करते हुए कभी भी सोना नहीं है।

6. सांस लेने की गति धीमी​ लेकिन गहरी रखें। ये आपको धीरे-धीरे पूरी तरह रिलैक्स करने लगेगी। मन में ख्याल लाएं कि जब आप सांस ले रहे हैं तो वह पूरे शरीर में फैल रही है। आप और ज्यादा ऊर्जावान होते जा रहे हैं। लेकिन जब आप सांस छोड़ रहे हैं, शरीर शांत होता जा रहा है। आपका फोकस सिर्फ खुद और अपने शरीर पर ही रहेगा। बाकी सारे कामों को भूल जाएं। इस स्थिति के सामने सरेंडर कर दें और आनंद लें। लेकिन ध्यान दें आपको सोना नहीं है।

7. 10-12 मिनट के बाद, जब आपका शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाए और नई ताजगी को महसूस करने लगे तो, एक तरफ को करवट ले लें। दोनों आंखों को बंद रखें। एक मिनट तक इसी स्थिति में बैठे रहें। इसके बाद धीरे-धीरे उठें और फिर पालथी मारकर या सुखासन में बैठ जाएं।

8. कुछ गहरी सांसें लें और आंखें खोलने से पहले आसपास चल रहे माहौल का जायजा लें। इसके बाद धीरे-धीरे आंखें खोल दें।

सावधानियां
1.अगर आपकी कमर से नीचे की मसल्स या हैमस्ट्रिंग्स (जांघ की मांसपेशियां) सख्त हैं, तो शवासन के अभ्यास से आपको कुछ ही समय में कमर दर्द की समस्या हो सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए शवासन करते ​समय टांगों को हल्का सा उठा लें।
2.शवासन उस स्थिति में भी काम करता है जब आपकी कमर या हिप्स में दर्द हो। अगर आप इस स्थिति से बचना चाहें तो घुटनों से नीचे एक तकिया रख सकते हैं।
3.अगर आप शवासन करने से पहले कंधे, सीने और पीठ में कड़ापन महसूस कर रहे हैं, तो आपके कंधे फर्श को छू नहीं सकेंगे। अगर आप जबरन इसे करने की कोशिश करेंगे तो आपकी गर्दन दर्द करने लगेगी।

इसी स्थिति से बचने के लिए शवासन करते समय सिर को हल्का सा उठाकर गर्दन के स्तर पर ले आएं। इससे कुछ ही दिनों में आपकी गर्दन का पिछला हिस्सा मुलायम हो जाएगा। इस काम के लिए आप पतले से तकिए का सहारा ले सकते हैं जो आपके कंधे के ऊपरी हिस्से तक आता हो। लेकिन जब आसन को आसानी से करने लगें तो तकिए का प्रयोग बंद कर दें।

लाभ
1. शरीर को मेडिटेशन की स्थिति में लाता है।

2. शरीर को रिलैक्स और शांत करता है ।
3. रक्तचाप और एंग्जाइटी कम करता है।
4. एकाग्रता और मेमोरी बढ़ाता है।
5. ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है ।

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