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इतिहास के पन्नों से…छोटी सी बात पर सैकड़ों लोग कट मरे

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…2 मार्च 2023। प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

छोटी सी बात पर सैकड़ों लोग कट मरे
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एक ओर तो संवत 1545 में बीकानेर गढ की नींव रखी गई और उसी वर्ष राव बीका के सहयोगी पांडू गोदारा पर श्रीडूंगरगढ़ तहसील के लाधड़िया गांव में सीवाणै के नरसिंह जाटू के सहयोग से पूला सारण ने हमला किया, जिसमें 200 गोदारा जाट मारे गए और नरसिंह जाटू और सारणों के भी सैकड़ों योद्धा मारे गए। अपने मित्र पांडु पर हमले की बात, जब राव बीका को पता चली तो वह 800 सैनिकों को लेकर नरसिंह जाटू पर चढ आया और नरसिंह की हार हुई। झगड़ा तो तत्कालीन जाट कौम के दो भूमिचार के मध्य था, किन्तु उस समय इस क्षेत्र के तीन हजार गांवों पर बीका को निर्बाध अपना आधिपत्य कायम करना, इसलिए बीका का पूला सारण पर किया गया हमला उनकी दूरगामी सोच का परिणाम था।
असल में लाधड़िया और शेखसर के स्वामी और 360 गांवों के अधिपति पांडू गोदारा अपनी दानशीलता के लिए प्रसिद्ध था तथा उसकी निकटता नए बसे राज्य बीकानेर के अधिपति से होने के कारण दूसरी जाट कौम के लिए ईर्ष्या का कारण बना। एक दिन पूला की पत्नी मलकी ने अपने पति के समक्ष पांडू गोदारा की वदान्यता की प्रशंसा की। इस पर पुला खिन्न हो गया। उसने कहा कि तूं मेरे दुश्मन की बहुत अधिक बडाई करती है तो क्यों नहीं तूं उसी के पास चली जा। मलकी को यह बात लग गई। उसने पांडू को अपने ले जाने का आग्रह भिजवाया। पांडू ने एक अबला की पुकार सुनी और अपने पुत्रों को भेजकर मलकी को लिवा लाया। पूला से पत्नी द्वारा किया गया यह अपमान सहा नहीं गया । पर 360 गांवों का अधिपति होने के बावजूद वह पांडू से कमजोर था। उसने सीवानी के नरसिंह जाटू से मदद ली और पांडू से लड़ने लाधड़िया आ गया। अप्रत्याशित हमले में 200 गोदारा वीर मारे गए।

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