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इतिहास के पन्नो से … बीकानेर में अंग्रेजों का हस्तक्षेप

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श्रीडूंगरगढ़ लाइव…20 फ़रवरी 2023।प्रिय पाठकों,
श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा कर रहे है।

अंग्रेजों का हस्तक्षेप

बीकानेर राज्य में अंग्रेजों ने महाराजा सरदार सिंह के शासनकाल से ही अपना हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया था। क्योंकि सरदार सिंह के बाद महाराजा डूंगर सिंह का शासनकाल थोड़े समय रहा, इसलिए अंग्रेजों की हस्तक्षेप की प्रवृत्ति और अधिक बढ़ गई। इधर जब महाराजा डूंगरसिंह का युवाकाल में निधन हो गया, तो गंगा सिंह बहुत छोटी अवस्था में थे। इसलिए उनके वयस्क होने तक एक रीजेंसी कौंसिल द्वारा राज्य का संचालन किया जा रहा था और उस कौंसिल को अंग्रेज अधिकारी गवर्न कर रहे थे। सन 1898 में महाराजा गंगा सिंह जब वयस्क हो गए तो उन्हें अंग्रेजों का हस्तक्षेप एक तरह से राज्य में अत्याचारपूर्ण लगा। उधर बीकानेर का अंग्रेज अधिकारी जिसे हम पोलिटिकल एजेंट कह सकते हैं, का नाम था- कैप्टन बेली। कैप्टन बेली छोटी-छोटी बातों के लिए राज्य को सुझाव देने लगा। महाराजा गंगा सिंह उसकी बातों का कोई जवाब भी नहीं दे रहे थे। पॉलीटिकल एजेंट अपनी बात को वॉइस राय तक पहुंचा रहा था। एक बार कैप्टन बेली ने हनुमानगढ़ क्षेत्र में शिकार करने का निर्णय किया, लेकिन महाराजा गंगा सिंहजी ने बीकानेर क्षेत्र में शिकार पर प्रतिबंध लगा रखा था। पोलिटिकल एजेंट अंग्रेजों द्वारा नियुक्त था और केंद्र में अंग्रेजों का शासन था। इसलिए उसको शिकार के लिए लाइसेंस प्रदान करना महाराजा की मजबूरी थी। इसलिए हनुमानगढ़ क्षेत्र में शिकार करने के लिए लाइसेंस जारी किया गया। पोलिटिकल एजेंट को यह लाइसेंस बहुत नागवार गुजरा, उसने इस लाइसेंस के संबंध में कहा कि वह इस लाइसेंस को मंडवा कर रखेगा, और कैसी अद्भुत बात है कि वह इस लाइसेंस के बिना शिकार नहीं खेल सकता। पर महाराजा ने उसकी उद्दंडता की कोई परवाह नहीं की। धीरे धीरे महाराजा गंगासिंह ने अंग्रेज अधिकारियों की नाजायज बातों की परवाह करनी बंद कर दी और अपने ढंग से बीकानेर राज्य का शासन करने लगे।

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