Shri Dungargarah Live

Hindi News POrtal

इतिहास के पन्नो से…रियासत कालीन बीकानेर राज्य के कर…

श्रीडूंगरगढ़ लाइव…1 फरवरी 2023 ।

प्रिय पाठकों,
 श्रीडूंगरगढ़ जनपद की कतिपय दिलचस्प ऐतिहासिक जानकारियां श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार, पत्रकार एवं इतिहासविद डाॅ चेतन स्वामी हमारे साथ नियमित साझा करेंगे।

बीकानेर राज्य में इस तरह के कर हुआ करते थे
•••••••••••••••••••••••

1- गृहकर के रूप में भांछ व धुंआ कर लगता था।
2- हल चलाने पर हलगत कर था।
3- अनाज या दूसरा सामान इधर-उधर लाओ, लेजाओ तो जकात कर देना पड़ता था। जकात एक बड़ा राजस्व कर था।
4- सैन्य कर के रूप में हर परिवार को  खैड़ खर्च देना पड़ता था ।
5- गुनहगारी किसी प्रकार की चूक अर्थात गुनाह साबित होने पर जुर्माना था।
6-  न्यौता कर, राजा या जागीरदार के यहां होनेवाली विवाह शादी में दिया जाने वाला रस्मी कर था।
7- जमीन को जोतने पर  बीघेड़ी कर दिया जाता।
8-  पेशकशी (नजराणा ) कर था।
9-  किरायत -विभिन्न प्रकार के हाथ के कार्य करने वालों का कर। यानी पारंपरिक जातिगत लघु उद्योग करनेवालों का कर, जैसे सुथार, लुहार, कुम्हार जाति के कार्य।
10 – धारणी कर, खेत में हुए अनाज की कूंत का कर।
11 – ढोल-गवाड़ी -चौधरियों का कर। गांव का चौधरी इस कर को लिया करता।
12 – सिंगायल -सींग वाले पशुओं पर लिया जाने वाला कर।
13 – सिलेपोशी -अस्त्र-शस्त्र का कर।
14 – चरवेदारी -पशुओं को चराने का कर।
15 – तबेले का कर। सरकारी ऊंट, घोड़ों के रख रखाव का कर।
16 – कोरड़ – घास काटने का कर।
17 – साल सीलड़ी -कार्य दक्षता का कर।
18 – हाकमी -अफसरों का कर।
19 – ठाकुर जी का लाजमा -मंदिर का कर।
20 – देसपरठ -गांव में बसने का कर। यह भी एक बड़ा राजस्व कर था।
21 – घोड़ा रेख घोड़ों का कर।
22 – पोखाण– खैण-खदान का कर।
23 –  लूण नमक का कर।
इस तरह 44 प्रकार के कर लिए जाते थे ।
अब वर्तमान में स्वतंत्र भारत में ये कर बढकर हजारों में हो गए हैं। भारत की कर व्यवस्था हर नागरिक पर एक बड़ा भारी बोझ लादे हुए है।

error: Content is protected !!