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इतिहास के पन्नो से….

 

श्रीडूंगरगढ़ लाइव….27 जनवरी 2023।प्रिय पाठकों, श्रीडूंगरगढ़ लाइव पर श्रीडूंगरगढ़ जनपद एवं इसके कर्णधारों, भामाशाहों एवं इतिहास पुरुषों की जानकारी दी जायेगी। श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व शिक्षक, पत्रकार एवं इतिहासविद श्री चेतन स्वामी एवं शोधपत्र हम सभी के साथ साझा करेंगे।

श्रीडूंगरगढ़ के संस्थापक महाराजा श्रीडूंगरसिंहजी की मूर्ति

श्रीडूंगरगढ़ की संस्थापना करनेवाले महाराजा श्रीडूंगरसिंहजी का देहावसान श्रीडूंगरगढ़ बसाने के पांच साल बाद ही हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई गंगासिंहजी को बीकानेर की गद्दी पर बैठाया गया। 13 अक्तूबर 1887 के दिन जब उनका राज्यारोहण किया गया, तब उनकी आयु मात्र 7 वर्ष थी। कृतज्ञ महाराजा गंगासिंह जी ने बाद में सन 1916 में अपने प्रिय भ्राता महाराजा श्रीडूंगरसिंहजी की सफेद संगमरमर की एक अति विशाल प्रतिमा जूनागढ़ के मुख्य द्वार के ठीक सामने ऊंची चौकी बनाकर उस पर स्थापित की। इसकी छतरी तक की ऊंचाई 74 फीट है। प्रतिमा के निर्माण पर उस समय एक लाख सैंतीस हजार रुपये की लागत आई। मूर्ति का अनावरण स्वयं महाराजा गंगासिंहजी ने अपने हाथों 5 अक्तूबर 1916 को किया।
महाराजा श्रीडूंगरसिंहजी की यह एकमात्र प्रतिमा है। कृतज्ञ श्रीडूंगरगढ़ वासियों को जब भी बीकानेर जाने का अवसर मिले अपने शहर संस्थापक महाराजा को श्रद्धांजलि अवश्य प्रकट करनी चाहिए। कौतूहलवश एक बार उस सुन्दर प्रतिमा के निकट जाकर अवश्य देखना चाहिए। इस मूर्ति को स्थापित हुए एक सौ छह वर्ष से अधिक का समय हो गया। इसकी स्थापना महोत्सव में श्रीडूंगरगढ़ के तत्कालीन सेठों को बुलाया गया था।

 

  चेतन स्वामी

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