श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज 31 जुलाई 2021
सिद्धासन क्या है :-
सिद्धासन दो शब्दों से मिलकर बना है सिद्ध + आसन = सिद्धासन | जहाँ पर सिद्ध का अर्थ होता है सिद्धि प्राप्त करना और आसन = आसन के दुआरा | अथार्त अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त करने वाला होने के कारण इसका नाम सिद्धासन पड़ा है। सिद्ध योगी इस आसन को बहुत ज्यादा करते हैं | इसलिए उनका यह आसन प्रिय आसन है | ध्यान की अवस्था में अधिकतर साधु इसी आसन में बैठते हैं। आयें जानते हैं इसके फायदे और इसे कैसे किया जाए |
विधि
पहली स्थिति :- सबसे पहले समतल जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर अपने पैर खोल कर बैठ जाएँ |
दूसरी स्थिति :- अब अपने बाएं पैर की एडी को अपने गुप्त अंग के मध्य भाग में रखें |
तीसरी स्थिति :- फिर अपने दायें पैर को उठायें और गुप्त अंग के मध्य भाग पर रखें |
चौथी स्थिति :- इस बात पर ध्यान दें कि आप के दोनों पैरों के पंजे, जांघ और पिंडली के मध्य रहें।
पांचवी स्थिति :- अब अपने दोनों हाथ घुटने पर रखे रहें और दोनों हाथों की पहली उंगली (तर्जनी) एंव अँगूठा एक-दूसरे को स्पर्श करते रहें।
छटवी स्थिति :- अब अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें तथा आँखें बंद करें तथा सांस को सामन्य रखें |
सातवीं स्थिति :- इसी अवस्था में 5-7 मिनट तक रहें |
समय
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 5-10 बार करे|
लाभ
1. एकाग्रता को बढाता है :- मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढती है ।हालांकि एकाग्रता को बढ़ाना एक मुश्किल काम है, पर यह नामुमकिन नहीं है. एकाग्रता को बढ़ाने के लिए ढृढ़ता बेहद जरूरी है|
2. सकारात्मक सोच बढाने हेतु :- इस आसन के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं। जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है ।और इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
3- इसका नियमित अभ्यास करने से जठराग्नि तेज होती है।
4- स्मरणशक्ति बढ़ने के साथ -साथ दिमाग स्थिर रहता है |
5- ध्यान करने के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है |
6- यह आसन ब्रह्मचर्य की रक्षा करता है।
7- कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करता है |
8- श्वास के रोग, हृदय रोग,अजीर्ण, दमा इत्यादि रोगों में बहुत लाभदायक है |
9- इस आसन को करने से यौन रोग दूर होते हैं।
10- इस आसन के अभ्यास से काम वासना पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
11- सिद्धासन में बैठकर जो कुछ पढ़ा जाता है वह अच्छी तरह याद रह जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह आसन विशेष लाभदायक है।
12- सिद्धासन को करने से छः मास के भीतर ही कुम्भक सिद्ध हो होता है।
13- सिद्धासन के प्रताप से ना केवल निर्बीज समाधि सिद्ध होती है बल्कि मूलबन्ध, उड्डीयान बन्ध और जालन्धर बन्ध अपने आप होने लगते हैं।
सावधानियां
यह आसन हमेसा खाली पेट करना चाहिए | इस आसन को कम से कम 10 मिनट तक करना चाहिए | प्रातः या संध्या काल में एक बार ही इस आसन को करें | जिन रोगियों को घुटने में दर्द हो वे इसे कदापि न करें | महिलाओं को भी यह आसन वर्जित है |










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