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श्रीडूंगरगढ़ साहित्यकार हुए पुरस्कृत व सम्मानित।। सच का उद्घाटन साहित्यकार की सामाजिक जिमेदारी.

श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज 7 मार्च 2021
श्रीडूंगरगढ़। यहां की राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से रविवार को साहित्यकार समारोह का आयोजन किया गया। स्थानीय संस्कृति भवन में हुए समारोह के मुख्य अतिथि जयनारायण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.सी. त्रिवेदी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सच का उद्दघाटन साहित्यकार की सामाजित जिम्मेदारी है। इसमें छूट की कोई सम्भवना नहीं है। इतिहास गवाह है कि जब -जब साहित्यकार ने सच को दबाया है तब- तब सामाजिक विचलन और विद्रूप बढ़े है। समय में परिवर्तन साहित्यकार ही ला सकता है और गिरती हुई राजनीति को सहारा देकर यही उन्नति की ओर अग्रसर कर सकता है।
समारोह के उद्धघाटन वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.एल. गोदारा ने कहा कि समय के साथ रचाव की तकनीक में बदलाव समाज की जरूरत है। समाज का आइना बने रहने के लिए देशकाल की बदलती परिस्थिति और मूल्यों से समन्वय ही साहित्यकार को सामाजिक रूप से पठनीय बना सकता है। आज जिस तरह का माहौल है, उसमें साहित्यकार को अतिरिक्त चौकन्ना रहना होगा, वरना समय उसे हासिये में पटकने में देर नहीं करेगा।


अध्यक्षता करते हुए राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि सत्ता में शिक्षा, साहित्य व संस्कृति का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। कला व साहित्य की संस्थाएं विलुप्त हो रही है। गांधी, अम्बेडकर और पटेल को भूलकर हम सामन्तवाद के गीत गा रहे है, जो कतई कल्याणकारी नहीं है। क्रांति, प्रेरणा व प्रगति की सीढ़ी साहित्यकार ही खड़ी करता है। इसलिए साहित्यकार को विचारधारा से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। मल्लाराम माली साहित्यश्री सेे समादृत लेखक रमेश जोशी ने कहा कि साहित्य धर्मों में बंटे हुए समाज को जोडक़र सामाजिक समरसता कायम करता है। स्वागताध्यक्ष समाजसेवी जुगलकिशोर तावणियां ने कहा कि पीडि़त मानव व जरूरतमंद की सेवा ही सर्वोपरि है। साहित्यकार को व्यवस्था की कमियों के साथ -साथ वरेण्य कार्यों को भी समाज के समक्ष लाना चाहिए ताकि प्रेरणा का आधार तैयार हो। संस्था अध्यक्ष श्याम महर्षि ने विषय प्रवर्तन करते हुए बदलते समय में साहित्य की विभिन्न चुनौतियों का जिक्र किया और रचनाधर्मिता की ईमानदारी पर जोर दिया। डॉ. चेतन स्वामी ने अपने सम्मबोधन में कहा कि कहा कि साहित्य का कोई विकल्प नहीं है। यह सदैव सामाजिक पथ प्रदर्शक था और आगे भी रहेगा। संस्था मंत्री रवि पुरोहित ने संस्था की आगामी कार्य योजना की जानकारी दी। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिखवाल ने प़ं. शिव प्रसाद सिखवाल की स्मृति में महिला लेखन पुरस्कार देनेे की घोषणा की। इसके साथ ही कोलकाता प्रवासी भीखमचन्द पुगलिया द्वारा संस्था की हीरक जयन्ती अवसर पर भवन के रंग रोगन के लिए डेढ़ लाख रुपए, समाजसेवी जुगलकिशोर तावणियां द्वारा मंत्री कक्ष साज सज्जा के लिए एक लाख इकत्तीस हजार रुपए एवं इंलैण्ड सोमानी फाउंडेशन ट्रस्ट के एल.एन. सोमानी ने संस्था में एक ऐसी लगाने की घोषणा की। इस दौरान महावीर प्रसाद माली, रामचन्द्र राठी, शोभचन्द आशोप, डॉ. मदन सैनी, भंवरलाल भोजक, तुलसीराम चौरड़िया, रामेश्वर पारीक, श्रीगोपाल राठी, बजरंग शर्मा, सत्यदीप, सत्यनारायण योगी सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
इनका हुआ सम्मान:
इस समारोह में मल्लाराम माली स्मृति साहित्य सम्मान सीकर के रमेश जोशी, डॉ. नन्दलाल महर्षि स्मृति हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार जयपुर के कैलाशा मनहर एवं पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार बीकानेर के शंकर सिंह राजपुरोहित को दिया गया। इनको पुरस्कार स्वरूप 11-11 हजार रुपए, प्रशस्ति पत्र, शॉल, प्रतीक चिह्न प्रदान किए गए। इसके अलावा शब्द साधक सम्मान जोधपुर के मनोहरसिंह राठौड़, चूरू की हिन्दी साहित्य संसद, राजगढ़ के डॉ. रामकुमार घोटड़, बीकानेर के नदीम अहमद नदीम, इन्द्रजीत कौशिक, मोहम्मद रफीक पठान, दासौड़ी के गिरधरदान रतनू व फरीदाबाद की डॉ. सन्तोष विश्नोई को यह सम्मान दिया गया।

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