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सारस्वत समाज का अपमान हर रोज हम सहन नही कर सकते सरस मन्दिर ठुकरियासर व सारस्वत समाज भवन के लिये मर मिट जायेंगे-संपत सारस्वत

श्रीडूंगरगढ़ लाइव न्यूज।24/12/2020.धार्मिक भावनाओं व आमजन की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ करना आजकल राजनीतिक दलों के बीच में आम बात हो गई है जो दल सत्ता में आता है वह दल प्रतिद्वंदी दल के समर्थकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए तथा अपने निजी स्वार्थ हमें राजनीतिक व्यवस्था का बदला लेते हुए उस को ठेस पहुंचाने का कार्य करता है 3 दिन पहले श्री डूंगरगढ़ मैं जो प्रशासन के नाम पर राजनीतिक बदला लेने की भावना से सारस्वत ब्राह्मण समाज के भवन तथा जगह पर तथा हवन कुंड व अन्य स्थानों पर जिस प्रकार से अतिक्रमण करके जेसीबी चलाकर जो क्रूरता का परिचय प्रशासन के नाम पर राजनीतिक दलों के हुक्मरानों ने दिया है उसका समय आने पर पूरा पूरा हिसाब लिया जाएगा राजनीतिक व्यवस्थाओं में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करके वोट बैंक की राजनीति चमकाने वाले नेताओं को चुनाव के समय पर पूर्ण रूप से खदेड़ कर इस बात का एहसास करवाया जाएगा कि हर समाज का अपना एक अस्तित्व है हर समाज की अपनी भावना है आपको ज्ञात रहे कि पिछले 2 वर्षों से ठुकरियासर गांव में सारस्वत समाज के आराध्य देव लोक देवता सरस जी महाराज के मंदिर निर्माण में कुछ इसी प्रकार से राजनीतिक दल के अवसरवादी नेताओं द्वारा अपनी राजनीतिक खुन्नस निकालने के लिए अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए गैर वाजिब तरीके से निर्माणाधीन मंदिर की कम ऊंचाई बता कर कोर्ट को गुमराह करके कानून का दुरुपयोग करते हुए स्टेला कर निर्माण करवाया गया, उसके बाद मंदिर प्रांगण में लगे पेड़ पौधों को पानी देने से रोकने वह किसी भी प्रकार की पूजा हवन व्यवस्था को रोकने के लिए अपने राजनीतिक रसूख को कायम रखने के हिसाब से लगातार पिछले 2 वर्षों से ग्रामीणों तथा भक्तों को परेशान किया गया, और अब श्री डूंगरगढ़ का यह प्रकरण साफ-साफ इस बात की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कर रहा है कि राजनीतिक स्वार्थ को साधने के लिए राजनीतिक दलों के यह लोग केवल और केवल धार्मिक वह मानवीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कार्य करते हैं कहीं ना कहीं समाज की एकता की कमी है अन्यथा इस तरह की जनों को अवैध बताकर इस प्रकार या कमाई करने वाले लोग बीच सड़क पर बनी मजार को हटाने की ताकत नहीं रखते हैं परंतु यह दुर्भाग्य है कि हिंदुस्तान के अंदर हिंदू समाज भी अपने अस्तित्व को धीरे-धीरे खो रहा है मैं प्रशासन तथा तमाम ऐसे अवसरवादी नेताओं से कह देना चाहता हूं की मंदिर वहीं बनेगा और नियत समय पर बनेगा तथा भविष्य में ऐसे राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को निश्चित रूप से खुले तौर पर जवाब दिया जाएगा ।
एससीएल फाउंडेशन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष संपत सारस्वत बामनवाली ने गहरे आक्रोश के साथ खेद प्रकट करते हुए हिंदू समाज में सारस्वत ब्राह्मण समाज से आह्वान किया है कि सभी एकमत होकर आगे आए और प्रशासन के नाम पर कानून के नाम पर गैरकानूनी तरीके से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले ऐसे कार्यों का पुरजोर विरोध करें और विरोध के साथ-साथ उस विरोध को कानूनी रूप से इस प्रकार से दर्ज कराएं कि भविष्य में ऐसी कोई कार्यवाही करने से पहले प्रशासन सौ बार सोचे । सभी से आह्वान किया कि अब ज्ञापन और विज्ञापन देने का दौर खत्म कर एकता का प्रदर्शन करते हुए ऐसे प्रशासन के दफ्तरों को ताला लगाएं जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कार्य कर रही है तथा आलाकमान व राज्य सरकार तक इस बात की सूचना पहुंचाएं कि किसी भी धर्म और किसी भी जाति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है

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