श्रीडूंगरगढ़ लाइव 19 अगस्त 2023। तपस्या कर्मों को क्षीण करने का एक सशक्त माध्यम है। मोक्ष प्राप्ति के चार साधनों में एक साधन है- तपस्या। आत्मा की पवित्रता, मन की निर्मलता के साथ कर्मों की निर्जरा तपस्या से मिलती है। स्थानीय मालू भवन में सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका डॉ. साध्वी संपूर्णयशा ने ये उद्गार अंकित पुगलिया के 9 दिनों की तपस्या पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अभिनंदन समारोह में व्यक्त किये।

साध्वी श्री ने कहा कि तपस्या एक अमृत का प्याला है। इससे पीने वाला महान बन जाता है। तप करने से मन और आत्मा का मैल दूर होता है। कठिन तपस्या वही कर सकता है, जिनके मन में अटूट संकल्प शक्ति व अदम्य उत्साह है। भारतीय संस्कृति के प्रत्येक धर्म व दर्शन में तपस्या व संयम के महत्व को स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि अंकित पुगलिया ने 9 दिनों की तपस्या कर सचमुच में हिम्मत का परिचय दिया है। परिवार, समाज व नगर के गौरव को बढ़ाया है। इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती रहेगी।

तेरापंथी सभा के मंत्री पवन कुमार सेठिया ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में तपस्वी अंकित का परिचय देते हुए तप के महत्व को रेखांकित किया एवं मंगलाचरण साध्वी मौलिकयशा ने किया।
कार्यक्रम में तेरापंथी सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री तुलसीराम चौरडिया, वरिष्ठ श्रावक कटक प्रवासी श्री मोहनलाल सिंघी, तेयूप से मनीष पटावरी, महिला मंडल से मंजू देवी झबक, अणुव्रत समिति मंत्री एडवोकेट रणवीर सिंह खीची, ओसवाल पंचायत मंत्री प्रमोद बोथरा, सुमित बरडिया, कु. दिव्या बोथरा व ऋतिक बोथरा ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में साध्वी कृष्णा कुमारी, साध्वी ऋजूप्रज्ञा, साध्वी ललित रेखा व साध्वी संपतप्रभा ने भी तप अनुमोदन में विचार व्यक्त किए।
सभी संस्थाओं की तरफ से साहित्य व धार्मिक उपकरण देकर तपस्वी को सम्मानित किया गया।










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