श्रीडूंगरगढ़ लाइव 23 जून 2023।श्रीडूंगरगढ़ लाइव हर पाठक को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जिसमे पाठक अपने शब्दों में अपनी बात और अपनी खबर दे सकते है।अपने लेखकीय उद्गार प्रकट कर सकते है।इसी कड़ी में आज श्रीडूंगरगढ़ लाइव की पाठिका यसोदा सिद्ध निवासी श्रीडूंगरगढ़ ने मणिपुर में जारी हिंसा और हालातो को अपनी लेखनी के जरिये हमे बताया है।
पूर्वोत्तर का एक महत्वपूर्ण और सीमावर्ती राज्य मणिपुर अब एक गहरे संकट के दौर में पहुंच गया है। पिछले छह हफ्ते से फैली हिंसा को रोकने में अब तक न तो केन्द्र सरकार सफल हो पा रही है और न राज्य सरकार। मणिपुर की राज्य सरकार से तो वैसे भी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि बीरेनसिंह सरकार को किसी भी पक्ष का भरोसा हासिल नहीं है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी सारे घटनाक्रम से दूर बने हुए हैं। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी को बाहर से भेजे गए अधिकारी संभाल रहे हैं। कूकी समुदाय इस सरकार को बहुसंख्यकवादी एजेण्डा बढ़ाने वाली पक्षपाती सरकार के रूप में देखते हैं, तो मैतेई समुदाय इसे व्यापक तौर पर उनका चुनावी समर्थन हासिल करने के बावजूद उनकी रक्षा करने में पूरी तरह अक्षम मानता है। केन्द्र व राज्य की सरकार ने वहां के नागरिकों को शायद अपने हाल पर छोड़ दिया है। दोनों समुदायों के बीच हिंसात्मक हमले जारी हैं। दोनों ही स्वचालित ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कर, जैसे हमारे सुरक्षा बलों के पास तक नहीं है। वहां गृह युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। लगता है अब तो वहां के लोग इस समस्या से पार पाने का कोई रास्ता निकालेंगे। दोनों समुदायों के लोग पलायन भी करने लगे हैं। हजारों लोग पहले से ही बेघर होकर शिविरों में दिन काट रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर गए थे और हिंसा पर उतरे लोगों को शांति की अपील कर लौट गए। उसका कोई असर नहीं हुआ। आए दिन वहां पर हिंसक घटनाएं हो रही हैं। अब तो वहां मंत्री और सांसद भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। हाल ही में तीन मंत्रियों के घर जला दिए गए। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि किस प्रकार सुरक्षा बल तक असहाय बने हुए हैं और उपद्रवी कितने ज्यादा सक्रिय। महीने भर पहले जब हिंसा भड़की थी तब उसे बेकाबू होते देख उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए थे। तब करीब ‘हफ्ते-दस दिनों तक हिंसक घटनाएं रूकी रहीं। लेकिन फिर भड़की तो भयानक रूप लेती गई। मणिपुर में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर काफी लोग सवाल कर रहे हैं, आखिर सरकारें हिंसा को रोकने में कामयाब क्यों नहीं हो रही हैं? ऐसा कोई कदम भी नहीं उठाया जा रहा है कि शांति बहाल हो। कुल मिलाकर देखा यही जा रहा है कि राज्य की सरकार विशेष कर मुख्यमंत्री बीरेनसिंह वहां अपनी राजनीति कर रहे हैं। केन्द्र सरकार को शीघ्र मणिपुर संकट को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।
लेखिका
यसोदा सिद्ध
श्री डुंगरगढ़ (बीकानेर)










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